लखनऊ. काफी लंबे वक्त से उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लिए नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश जारी है। राजनीतिक गलियारों में कई नाम चर्चाओं में है। लेकिन बीते कुछ दिनों में सबसे ज्यादा चर्चा में नाम उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य का बना हुआ है। हाल में हुई केशव प्रसाद मौर्य की दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ मुलाकात से इन चर्चाओं को और मजबूती मिली है। भारतीय जनता पार्टी की राजनीति को करीब से समझने वालों का मानना है कि केशव प्रसाद मौर्य पर पार्टी एक बार फिर से दांव लगा सकती है। फिलहाल बहुत जल्द ही है भारतीय जनता पार्टी के नए प्रदेश अध्यक्ष का नाम घोषित कर दिया जाएगा।
दिल्ली से लेकर उत्तर प्रदेश तक के भाजपा नेताओं को इस बात का इंतजार है कि आखिर उत्तर प्रदेश का नया प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा। कयास तो पार्टी के नेताओं और राजनीतिक विश्लेषकों की ओर से जातिगत आधार पर ब्राह्मण से लेकर दलित और पिछड़े से लेकर अति पिछड़े नेताओं के नाम पर लगाया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि जिस तरीके से बीते कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का नाम प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर चर्चा में आया है उससे उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक केशव प्रसाद मौर्य की दावेदारी इसलिए भी मजबूत मानी जा रही है क्योंकि वह उत्तर प्रदेश में एक बड़े चेहरे के तौर पर बीते चुनावों में सामने रहे हैं। हालांकि यह बात अलग है कि वह 2022 में अपना विधानसभा चुनाव हार गए, लेकिन जातिगत समीकरणों के लिहाज से केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश में अभी भी सबसे मुफीद चेहरे के तौर पर देखे जा रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक, केशव प्रसाद मौर्य की दिल्ली में हाल के दिनों में हुई बड़े नेताओं के साथ मुलाकात में इस बात की चर्चा भी हुई है। सूत्रों का कहना है कि केशव प्रसाद मौर्य के पास इस वक्त सबसे बड़े प्रोफाइल के तौर पर उपमुख्यमंत्री का पद तो है ही। साथ में विधान परिषद में नेता सदन भी है। उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि विधान परिषद में नेता सदन के साथ उपमुख्यमंत्री का पद महत्वपूर्ण तो होता है, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि केशव प्रसाद मौर्य के पास ऐसा कोई भी महत्वपूर्ण विभाग नहीं है, जो उनके साथ में ही दूसरे उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक के पास है।
वो कहते हैं जो कि पिछली सरकार में केशव प्रसाद मौर्य उपमुख्यमंत्री थे और उनके पास महत्वपूर्ण विभाग भी थे। इस बार तस्वीर बदली हुई है। ऐसे में केशव प्रसाद मौर्य के समर्थक भी चाहते हैं कि उनके पास संगठन का बड़ा दायित्व मिले। ताकि आने वाले चुनावों में एक बार फिर से मजबूती के साथ केशव प्रसाद मौर्य जमीन पर उतर कर संगठन को मजबूत करें और लोकसभा के चुनावों में एक बार फिर से वही इतिहास दोहराया जाए जो 2019 और 2014 में दोहराया गया था।
मौर्या की दावेदारी को लेकर भाजपा के ही एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि संगठन और सरकार के अपने अपने दायित्वों का निर्वहन करने के लिए केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश में एक मजबूत चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं। राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का यह दौर भी चल रहा है कि सुनील बंसल के उत्तर प्रदेश से कार्य मुक्त होने के बाद उनके जैसा ही एक मजबूत चेहरा कार्यकर्ताओ के सामने रहे। ऐसे में केशव प्रसाद मौर्य सामने लाए जा सकते हैं।
हालांकि, अभी तक भारतीय जनता पार्टी की ओर से उत्तर प्रदेश में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर किसी का नाम तय नहीं हुआ है। यही वजह है कि अलग-अलग नामों को लेकर कयासों का दौर लगातार बना हुआ है। राजनैतिक विश्लेषक एसएन बंसल कहते हैं कि फिलहाल चर्चाओं में ब्राह्मण चेहरे के साथ-साथ दलित चेहरा और पिछड़े समेत अति पिछड़े कुछ नेताओं नाम तो सामने आ रहे हैं।
वो कहते हैं कि निश्चित तक तो उत्तर प्रदेश में जो भी प्रदेश अध्यक्ष बनेगा वह जातिगत समीकरणों को साधते हुए ही बनेगा। इसके अलावा एक ऐसा चेहरा सामने होगा जो संगठन को मजबूती के साथ आगे लेकर चल सके। वहीं दूसरी और भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अगले कुछ दिनों में उत्तर प्रदेश में प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा कर दी जाएगी।