मुजफ्फरनगर। महमूदनगर के 20 साल पुराने बवाल में अदालत ने दोषियों को सजा सुना दी है। फैसले में तल्ख टिप्पणी की गई। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय संख्या सात के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह ने लिखा है कि दंगाइयों के कृत्य के कारण पूरे शहर में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।

बृहस्पतिवार को आए फैसले में अदालत ने लिखा है कि जिस मकान में कई महिलाएं एवं बच्चे फंसे हुए थे, उस घर में आग लगा दी गई। आग में फंसे हुए बच्चों की अगर बात की जाए तो साढ़े पांच साल की आसमां, तीन साल की हजमा, पौने दो साल का हुदा, 12 साल के सुहेल जैसे छोटे-छोटे बच्चे थे। पौने दो माह का सद्दीक और उमर भी थे, जिन्होंने अभी तक ठीक से ना तो दुनिया देखी थी और ना ही चलना जानते थे और वे आग से बचकर भाग नहीं सकते थे।

इनकी चीखपुकार सुनकर जब पुलिस अधिकारी कर्मचारी मौके पर पहुंचते हैं, तब उन पर सिर्फ इसलिए हमला कर दिया जाता है कि वह अपने कर्तव्य पालन में इन बच्चों को बचाने चले जाते हैं। जिले की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और सीडीओ जैसे तमाम आला अधिकारियों की मौजूदगी में खुलकर पुलिसबल के साथ अभद्रता की गई और पथराव किया गया। इसमें तत्कालीन पुलिस अधीक्षक नगर, क्षेत्राधिकारी नगर, थानाध्यक्ष सिविल लाइन्स सहित अन्य पुलिसकर्मी घायल हुए थे। दंगाइयों के कृत्य के कारण पूरे शहर में अराजकता की स्थिति उत्पन्न हो गई और लोक व्यवस्था भंग हो गई।

मुजफ्फरनगर। शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजीव शर्मा और सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी परविंद्र ने बताया कि तत्कालीन एसएसपी भजनीराम मीणा ने भी अदालत में बयान दिए थे। चार पुलिसकर्मी घायल हुए थे।