मुजफ्फरनगर. मुजफ्फरनगर में सपा, बसपा और भाकियू जिला यूनिटों के विरुद्ध दर्ज अवमानना का वाद कोर्ट ने खारिज कर दिया। इससे तीनों सगठनों को राहत मिली है। 28 वर्ष पहले प्रशासन ने जिला कार्यालयों के लिए तीनों संगठनों को किराए पर भवन आवंटित किये थे। उक्त भवनों को अपना बताते हुए नगर के एक उद्योगपति ने कोर्ट से कब्जे के विरुद्ध स्टे ले लिया था। जिसके बावजूद कब्जा लिये जाने पर तीनों संगठनों के विरुद्ध कोर्ट की अवमानना का केस दायर किया गया था।
थाना सिविल लाइन क्षेत्र के महावीर चौक के समीप तीन दशक पूर्व डीआइओएस कार्यालय संचालित होता था। जब यह कार्यालय करीब ही स्थित पुराने राजकीय छात्रावास में शिफ्ट हो गया तो पुराना डीआइओएस भवन जर्जर अवस्था में पहुंच गया। 22 अप्रैल 1994 को दावा आवंटन एवं किराया निर्धारण तथा निष्कासन अधिकारी मोहन सिंह ने उक्त भवन के अलग-अलग तीन भागों को 100-100 रुपये प्रति माह किराए पर क्रमश: भाकियू, सपा तथा बसपा को आवंटित कर दिया था। तब से ही उक्त भवनों में तीनों संगठनों के कार्यालय संचालित होते आ रहे हैं।
तीनों संगठनों को भवन आवंटन के तीन दिन बाद ही नगर के उद्योगपति अनिल स्वरूप ने दावा आवंटन एवं किराया निर्धारण तथा निष्कासन अधिकारी के आदेश के विरुद्ध कोर्ट से स्टे प्राप्त कर लिया था। बावजूद तीनों संगठनों ने आवंटित भवनों पर कब्जा ले लिया था। जिसके विरुद्ध अनिल स्वरूप ने 25 अप्रैल 1996 को तीनों संगठनों पर विधि विरुद्ध एवं कानूनी प्रक्रिया अपनाए बिना कब्जा लेने के आरोप में कोर्ट आदेश की अवमानना का केस दायर किया था। यह केस 26 साल से एडीजे कोर्ट संख्या 14 में विचाराधीन था। एडीजे 14 रितीश सचदेवा ने वादी की और से केस की पैरवी न करने पर उसे खारिज करने का आदेश दिया। प्रतिवादी के वरिष्ठ अधिवक्ता तेग बहादुर सैनी का कहना है कि आवंटन के विरुद्ध दायर मूल वाद की सुनवाई एडीजे 6 कोर्ट में चल रही है। उक्त मामले में कोर्ट ने सुनवाई की अगली तिथि 8 अगस्त तय की हुई है।