मुजफ्फरनगर। सहारनपुर से दिल्ली जा रही पैसेंजर ट्रेन में लूट का विरोध करने पर हत्या के मामले में तीन अभियुक्तों को आजीवन कारावास और दो को दस-दस साल की सजा सुनाई गई। एडीजे-11 शाकिर हसन ने फैसला सुनाया।

एडीजीसी फौजदारी नीरज कांत मलिक ने बताया कि 31 अक्तूबर, 2015 की रात देहरादून निवासी डॉ. नारायण सिंह पुत्र महाराज सिंह रेवाड़ी जाने के लिए घर से निकले थे। सहारनपुर से वह दिल्ली के लिए पैसेंजर ट्रेन में सवार हुए। शामली के पास बदमाशों ने ट्रेन में लूटपाट शुरू कर दी। यात्रियों से लूट का डॉ. नारायण सिंह ने विरोध किया, जिस पर उन्हें गोली मार दी गई थी। वारदात के बाद बदमाश फरार हो गए। एक नवंबर, 2015 को उपचार के दौरान नारायण सिंह की मौत हो गई। मृतक के भाई रमेश चंद जादौन ने मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने बागपत के औसिक्का निवासी इरफान, वाकिक, आसिफ, असारा निवासी इरफान, मेरठ के जसड़ निवासी समीर उर्फ पहलवान को गिरफ्तार कर वारदात का खुलासा किया था।

आरोपियों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल की गई। एडीजे-11 शाकिर हसन की अदालत में प्रकरण की सुनवाई हुई। सोमवार को अभियुक्त इरफान, समीर उर्फ पहलवान और रिजवान को धारा 302 में उम्रकैद और 10-10 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई। धारा 394 में आसिफ व वाकिफ के अलावा अन्य अभियुक्तों को दस-दस साल की सजा और पांच-पांच हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई।