ये चर्चा भी हो रही है कि अच्छी सेहत और बॉडी की चाह में जिम जाने वाले लोगों को किन-किन बातों का ख्याल रखना चाहिए.

पुनीत राजकुमार को बेहद फिट माना जाता था और उनकी अचानक 46 साल की उम्र में हुई मौत के बाद सब इस बात से हैरान हैं कि किसी इतने फिट दिखने वाले व्यक्ति की अचानक ऐसे कैसे मौत हो सकती है.

दो महीने पहले ही जब दो सितंबर को अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला की मौत हुई तब भी यही सवाल उठा था. 40 साल के सिद्धार्थ चर्चित टीवी कलाकार और होस्ट थे और बिल्कुल फिट दिखते थे.

पुनीत ने जिम करने के दौरान सीने में दर्द उठने पर सबसे पहले पारिवारिक डॉक्टर और चर्चित कार्डियोलॉजिस्ट रमन्ना राव से संपर्क किया था.

राव ने मीडिया से कहा था, “मैंने उनकी नब्ज़ और रक्तचाप की जांच की और दोनों ही सामान्य थे. मैंने उनसे पूछा कि इतना पसीना क्यों आ रहा है तो उन्होंने कहा कि जिम के दौरान आमतौर पर उन्हें पसीना आता है. मैंने उनकी ईसीजी जांच की और तुरंत अस्पताल जाने के लिए कहा.”

विक्रम अस्पताल के डॉ. और कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रंगनाथ नायर के मुताबिक़ पुनीत को रास्ते में ही दिल का दौरा पड़ा और उन्हें बचाने के सभी प्रयास नाकाम रहे.

12 साल पहले एसएपी इंडिया के सीईओ रंजन दास को जिम से वापस आने के बाद दिल का दौरा पड़ा था और उनकी मौत हो गई थी. 42 साल के दास की मौत के बाद भी कई सवाल उठे थे कि 40 की उम्र के लोगों को भी हार्ट अटैक कैसे आने लगे हैं.

श्री जयदेव इंस्टिट्यूट ऑफ़ कार्डियोवस्कुलर साइंसेज़ एंड रिसर्च (एसजेआईसीएसआर) के निदेशक डॉ. सीएन मंजुनाथ ने बीबीसी से कहा, “जब लोग वज़न उठाने जैसे अभ्यास करते हैं तो मांसपेशियों में तनाव हो जाता है. वजन उठाने की वजह से शिराओं पर दबाव पड़ता है. असीमित अभ्यास हार्ट के वॉल्व के लिए बुरे होते हैं.”

एसजेआईसीएसआर में दो हज़ार लोगों पर 2017 में किए गए एक शोध से पता चला है कि 25-40 आयुवर्ग के लोगों में हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं. पिछले पाँच सालों के मुक़ाबले में ऐसे मामलों में 22 फ़ीसदी बढ़ोत्तरी देखी गई.

डॉ. मंजुनाथ के मुताबिक़ ये वो लोग थे, जिनमें दिल से जुड़ी दूसरी बीमारियां नहीं थीं और हार्ट अटैक की आशंका बढ़ाने वाले धुम्रपान, पारिवारिक हिस्ट्री, डायबिटीज़, हाइपरटेंशन और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसे दूसरे कारण भी नहीं थे.

लेकिन पुनीत के दोनों बड़े भाइयों अभिनेता शिवराजकुमार और अभिनेता और निर्माता राघवेंद्र राजकुमार दोनों को ही हार्ट अटैक आ चुका है.

पूर्व मुख्यमंत्री और फ़िल्म जगत से जुड़े रहे एचडी कुमारास्वामी राजकुमार परिवार के मित्र हैं. कुमारास्वामी ने बीबीसी से कहा, “दोनों को ही जिम में हार्ट अटैक हुआ था. परिवार की ऐसे मामलों की हिस्ट्री है.”

कुमारास्वामी कहते हैं, “हाल के समय में युवाओं में बिना शारीरिक परीक्षण के जिम जाने का और प्रोटीन सप्लीमेंट पाउडर और प्रोटीन शेक लेने का चलन बढ़ा है. ये युवा ऐसे जिम इंस्ट्रक्टर के कहने पर प्रोटीन लेते हैं, जिनके पास ऐसी सलाह देने की योग्यता नहीं होती है.”

एसोसिएशन ऑफ़ हेल्थ प्रोवाइडर्स के अध्यक्ष डॉ. एलेक्सेंडर थॉमस कहते हैं कि ”’बहुत से जिम युवाओं को स्टेरॉयड लेने की सलाह देते हैं और स्टेरॉयड सेहत के लिए अच्छे नहीं होते हैं. हो सकता है कि भारत में ऐसे जिम कि संख्या बहुत कम हो लेकिन ये चिंता का विषय है.’

चर्चित डायटीशियन और न्यूट्रीशन सलाहकार शीला कृष्णास्वामी कहती हैं, “ऐसी आधारहीन मान्यता है कि जो लोग जिम जाते हैं, उन्हें प्रोटीन लेने चाहिए. ऐसा करना बिल्कुल सही नहीं है. जब तक डायट में प्रोटीन की कमी ना हो तब तक सप्लीमेंट लेने की कोई ज़रूरत नहीं होती है. जो लोग खेलों से जुड़े होते हैं, वो भी डॉक्टरों की सलाह और योग्य पोषण विशेषज्ञों की सलाह पर ही प्रोटीन लेते हैं.”

वो कहते हैं, “लोगों को तुरंत ही हाई इंटेसिटी वर्कआउट शुरू नहीं करने चाहिए. पहले वॉर्म अप एक्सरसाइज़ करनी चाहिए. और जब लोग हाई इंटेनसिटी वर्कआउट शुरू भी करें तब भी ये रोज़ाना नहीं करने चाहिए. ये दिल से जुड़ी समस्याओं की शुरुआत हो सकते हैं.”

मेंगलुरू के पीए इंस्टिट्यूट ऑफ़ फ़ीज़ियोथेरेपी के प्रिंसीपल सजीश रघुनाथन कहते हैं, “ठहरा हुए या अधिक बैठने वाले लाइफस्टाइल के लोगों को कई जांचे करानी चाहिए ताकि ये पता चल सके कि वो जल्दी तो नहीं थक जाते हैं. आमतौर पर इन जांचों का मक़सद ये पता करना होता है कि व्यक्ति एक्सराइज़ करने के लिए फिट है या नहीं.”

डॉ. मंजूनाथ कहते हैं, “सभी शुरुआती सावधानी बरतने और हाई इंटेसिटी एक्सराइज़ शुरू करने के बाद आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप अधिक देर तक तो तो एक्सराइज़ नहीं कर रहे हैं. बाहर से अच्छे दिखने का ये मतलब नहीं है कि आपका दिल भी सेहतमंद हो.”

वो कहते हैं, “मैं तो ये सलाह दूंगा कि जिम में आपात स्थिति को संभालने के लिए प्रशिक्षित लोग होने चाहिए जो पुनर्जीवन उपकरणों को चलाना जानते हैं और आपात स्थिति में हार्ट को फिर से चालू करने के लिए डेफिब्रिलेटर शॉक दे सकें.”

डॉ. मंजूनाथ कहते हैं, “यदि पुनीत दस मिनट पहले अस्पताल पहुँच गए होते तो शायद उन्हें बचा लिया गया होता. हमारे पास ऐसे मरीज़ आए हैं जो लाइन में इंतज़ार कर रहे थे और उन्हें ये ट्रीटमेंट दिया गया. वो लोग बच गए और बीस-तीस सालों तक जिए.”