नई दिल्ली. टी20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया का प्रदर्शन अब तक शानदार रहा है. पहले पाकिस्तान और फिर नीदरलैंड्स को हराकर रोहित शर्मा एंड कंपनी ने सेमीफाइनल का दावा मजबूत कर लिया है. पिछले टी20 वर्ल्ड कप में टीम के मेंटॉर रहे महेंद्र सिंह धोनी इस बार साथ नहीं है. इसके बावजूद वो भारत की जीत में अहम रोल निभा रहे हैं. वो खिलाड़ियों की मदद कर रहे हैं. धोनी की सलाह एक-दो नहीं, कई भारतीय खिलाड़ियों के काम आ रही है और वो टूर्नामेंट में विरोधी टीमों पर काल बनकर टूट रहे हैं.

आखिर कैसे कई हजार किलोमीटर दूर होते हुए भी धोनी टीम इंडिया की जीत में काम आ रहे हैं, वो कैसे भारतीय खिलाड़ियों की मदद कर रहे हैं? आइए आपको बताते हैं.

यह बात किसी से छिपी नहीं है कि महेंद्र सिंह धोनी, हार्दिक पंड्या और ऋषभ पंत के मेंटॉर रहे हैं. खुद हार्दिक और पंत भी यह बात कई बार कह चुके हैं. धोनी ने ही इन दोनों खिलाड़ियों को अपने टी20 खेल को बेहतर बनाने के लिए राउंड बॉटम बैट यानी जिसका निचला हिस्सा गोलाई लिए हो, ऐसे बल्ले का इस्तेमाल करने की सलाह दी थी. ऑस्ट्रेलिया में खेले जा रहे टी20 वर्ल्ड कप में भी यह खिलाड़ी इसी तरह के बैट से खेल रहे हैं. बीते कुछ महीनों में पंड्या की पावर हिटिंग में जो बदलाव दिखा है, उसके पीछे इसी बैट का हाथ है.

हार्दिक पांड्या, केएल राहुल, ऋषभ पंत और कुछ भारतीय खिलाड़ी टी 20 विश्व कप में राउंड-बॉटम बल्ले का उपयोग कर रहे हैं. इस तरह के बल्ले, धोनी ने टी20 में पावर हिटिंग के लिए लंबे वक्त तक इस्तेमाल किए हैं.

बैट और दूसरे स्पोर्ट्स गुड्स बनाने वाली कंपनी एसजी के मैनेजिंग डायरेक्टर ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘यह धोनी ही थे, जिन्होंने 2019 वर्ल्ड कप से पहले इस तरह के बल्ले का इस्तेमाल करना शुरू किया था और अब दूसरे भारतीय खिलाड़ियों ने भी इस तरह के बैट की डिमांड करना शुरू कर दिया है.’

पंड्या पिछले साल यूएई में हुए आईपीएल के सेकेंड लेग से ही टी20 फॉर्मेट में रन बनाने के लिए जूझ रहे थे. इसी खराब फॉर्म के कारण वो टी20 वर्ल्ड कप में भी बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाए और टीम इंडिया से बाहर हो गए. हालांकि, इस दौरान उन्हें चोट भी लगी थी. टीम से बाहर रहने के दौरान उन्होंने अपनी फिटनेस के अलावा बल्लेबाजी पर भी काम किया और इसी दौरान उन्होंने राउंड बॉटम शेप के बल्ले से खेलना शुरू किया और नतीजा सबके सामने है.

पंत भी टी20 में संघर्ष कर रहे हैं. उन्होंने भी आईपीएल के बाद धोनी से संपर्क साधा था. पंत से जुड़े सूत्र ने बताया कि धोनी ने ही उन्हें राउंड बॉटम बैट का इस्तेमाल करने की सलाह दी. वो धीरे-धीरे इसकी आदत डाल रहे हैं. हालांकि, पंत जिस तरह के बैट का इस्तेमाल कर रहे हैं, उसकी गोलाई पंड्या के बल्ले जितना उठा नहीं नजर आता है. लेकिन, उन्हें इस बैट से अपनी बल्लेबाजी में फर्क नजर आ रहा है.

नीचे की तरफ से घुमावदार या कर्व बैट से बल्लेबाज को पावर हिटिंग में मदद मिलती है. निचला हिस्सा कर्व या घुमावदार होने के कारण बैट में स्वीट स्पॉट (वो हिस्सा, जिसे स्ट्रोक प्ले के लिए सबसे अहम माना जाता है) का हिस्सा ज्यादा होता है. इसलिए टी20 फॉर्मेट में इस तरह के बल्ले ज्यादा कारगर साबित होते हैं.

खिलाड़ियों का दावा है कि छोटे फॉर्मेट मे शॉट-मेकिंग के दौरान इस तरह के बल्ले, उन्हें मैदान के हर कोने में शॉट लगाने में मदद करते हैं. जिस बल्ले का निचला हिस्सा चपटा होता है, उससे खेलने वाले अधिकतर बल्लेबाज क्लोज स्टांस से खेलते हैं. वहीं, राउंड बॉटम यानी घुमावदार बैट बल्लेबाज को ज्यादा ओपन स्टांस से खेलने में मदद करता है.

यानी इस तरह के बैट से बल्लेबाज की शॉट खेलने की रेंज बढ़ जाती है. उसे हाथ खोलने के ज्यादा मौके मिल जाते हैं और वो पहली गेंद से ही गेंदबाज पर हावी हो सकता है. यही कारण है कि केएल राहुल, हार्दिक पंड्या और ऋषभ पंत जैसे भारतीय खिलाड़ी टी20 फॉर्मेट में इसी तरह के बैट का इस्तेमाल कर रहे हैं.

बेस्ट फिनिशर माने जाने वाले महेंद्र सिंह धोनी की बल्लों की अपनी रेंज है. वो स्पार्टन MSD 7 लिमिटेड एडिशन बैट से खेलते हैं. उनके बल्ले का वजन करीब 1.25 किलोग्राम होता है. धोनी के बल्ले का निचला हिस्सा घुमावदार होने के कारण उसमें स्पीट स्पॉट ज्यादा होता है. यानी बैट का बड़ा हिस्सा स्ट्रोक प्ले या पावर हिटिग के काम आ सकता है. उनके बल्ले में बेहतर संतुलन और मजबूती के लिए नौ-टुकड़े वाले बेंत का हैंडल होता है.

वहीं, विराट कोहली ए-ग्रेड इंग्लिश विलो बैट का इस्तेमाल करते हैं. इसका वजन 1.25 किलोग्राम से कम होता है. कोहली जिस बैट से खेलते हैं, उसका निचला हिस्सा ज्यादा घुमावदार नहीं है.