प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बहुचर्चित मुजफ्फरनगर दंगे में आरोपी सजायाफ्ता बीजेपी के पूर्व विधायक विक्रम सैनी को राहत नहीं दी है. कोर्ट ने अपील तय होने तक दो वर्ष की सजा निलंबित रखने की मांग में दाखिल अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि सजा रेयर आप रेयरेस्ट केस में निलंबित की जा सकती है. सजा निलंबित रखने का कोई वैध आधार नहीं है. कोर्ट ने कहा याची की अयोग्यता बरकरार रहेगी। कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था.

विधायक को घातक हथियार से लैस भिड़ द्वारा दूसरों के जीवन सुरक्षा को खतरे में डालने, लोक सेवक को अपने कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने, आपराधिक बल से कानून और व्यवस्था के लिए समस्या पैदा कर शांति भंग करने के इरादे से की गई घटना पर सजा सुनाई गई है. कोर्ट ने कहा नागरिकों के जीवन को खतरा खड़ा हुआ. उनके कृत्य से स्वस्थ लोकतंत्र के मूल्यों को भी नुकसान पहुंचा. यह आदेश जस्टिस समित गोपाल ने विक्रम सिंह सैनी उर्फ विकार सैनी की अपील पर दाखिल अर्जी को अस्वीकार करते हुए दिया.

कोर्ट ने कहा कि याची की सजा को निलंबित करने का कोई आधार नहीं है. सजा विशेष परिस्थितियों में ही निलंबित की जा सकती है. याची की ओर से कहा गया था कि मुजफ्फरनगर में तीन हिंदू युवकों की हत्या के बाद कई स्थानों पर दंगे भड़के थे. उस समय प्रदेश में सपा की सरकार थी और विक्रम सैनी बीजेपी के कद्दावर नेता थे. इसलिए राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के कारण से झूठा फंसा दिया गया. उनके खिलाफ कोई सीधा साक्ष्य नहीं मिला है. पुलिस ने एफआईआर दर्ज कराई और सभी गवाह भी पुलिस के ही है. कोई भी स्वतंत्र साक्षी नहीं है. वह निर्वाचित विधायक हैं और सजा कायम रहने की स्थिति में उसकी विधानसभा सदस्यता समाप्त हो चुकी है. वह भविष्य में चुनाव भी नहीं लड़ सकेगा, इसलिए अपील तय होने तक सजा निलंबित रखी जाय.

विधायक विक्रम सैनी सहित 12 आरोपियों को स्पेशल कोर्ट एमपी-एमएलए ने मुजफ्फरनगर दंगे का दोषी करार देते हुए 11 अक्तूबर 2022 को दो-दो वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी. सजा सुनाए जाने के बाद 4 नवंबर को सैनी की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई. इस सीट पर उपचुनाव होना है. इस दौरान स्पेशल कोर्ट ने सजा के बाद अंतरिम जमानत दे दी थी. उन्होंने सजा के खिलाफ अपील दाखिल करने के साथ ही हाईकोर्ट से नियमित जमानत दिए जाने की मांग की थी, जिसे हाईकोर्ट ने मंजूर कर लिया था.