मुजफ्फरनगर। जनपद की बडी राजनीतिक हस्तियों में शुमार पूर्व सांसद कादिर राणा आज अपने समर्थकों के साथ एक बार फिर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। पार्टी अध्यक्ष तथा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मौजूदगी में हुई प्रेस कांफ्रेंस में कादिर राणा के सपा में शामिल होने का ऐलान किया गया।
इस अवसर पर कादिर राणा ने कहा कि समाजवादी पार्टी तथा नेताजी मुलायम सिंह यादव ने हमेशा उनका उत्साह बढाया है ओर आज एक बार फिर से वह अपने परिवार में वापस आए हैं। उन्होने कहा कि भगवान ने चाहा तो अखिलेश यादव सिर्फ प्रदेश के मुख्यमंत्री ही नहीं बल्कि देश के प्रधानमंत्री पद तक भी पहुंचेंगे। उन्होने कहा कि प्रदेश का युवा अखिलेश यादव के साथ हैं।
सपा में शामिल होने के बाद बोले मुजफ्फरनगर के पूर्व सांसद कादिर राणा, भगवान ने चाहा तो…देखें वीडियो @yadavakhilesh @samajwadiparty #muzaffarnagar #UPElections2022 #UPElection2022 pic.twitter.com/p3MYbEyia6
— ASB NEWS INDIA (@asbnewsindia) October 17, 2021
वार्ड सभासद से अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत कर देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद में स्थान पाने वाले जनपद के प्रमुख लोहा उद्यमी और राजनेता पूर्व सांसद कादिर राणा ने अब राजनीतिक रूप से घर वापसी की है। अब उन्होंने नई सियासी पारी खेलने के लिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से हाथ मिलाया है। पिछले करीब एक माह से कादिर राणा के द्वारा पार्टी बदलने की चर्चा आम हो रही थी। कादिर राणा का सपा में जाना बसपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
कादिर राणा का जीवन संघर्ष से परिपूर्ण रहा है। शहर के निकटवर्ती गांव सूजडू में पले बढ़े कादिर राणा आज राजनीतिक और औद्योगिक क्षेत्र में एक बड़ी पहचान रखते हैं। उनको मुजफ्फरनगर में लोहा कारोबार की सल्तनत खड़ा करने वाला भी माना जाता है। कारोबार में बड़ी पहचान बनाने के बाद उन्होंने राजनीति की ओर रुख किया और मौहल्ला कृष्णापुरी में निवासी होने के कारण उन्होंने साल 1988 में वार्ड संख्या 26 से सभासद पद पर चुनाव लड़ा। क्षेत्र की जनता ने उनको सेवा का अवसर प्रदान करते हुए नगरपालिका बोर्ड में निर्वाचित कर भेजा। इसके बाद राजनीतिक बिसात पर कादिर राणा ने सफलता की कई कहानियां लिखी हैं।
सभासद बनने के बाद कादिर राणा ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन की और कुछ ही समय में सपा नेता के रूप में उन्होंने एक बड़ी पहचान बनाने का काम किया और वह मुलायम सिंह यादव का विश्वास हासिल करने में सफल रहे। उन्होंने सपा में जिलाध्यक्ष का दायित्व भी निभाया। 1998 में मुलायम सिंह यादव ने उनको विधान परिषद् में भिजवाने का काम किया। वह विधायक बने तो जनसेवा का ज्यादा अवसर उनको मिला। इसके बाद सपा ने साल 1993 के राम लहर वाले विधानसभा चुनाव में कादिर राणा को सपा ने सदर सीट से प्रत्याशी बनाकर उतारा। पूरी तरह से धु्रवीकरण के इस चुनाव में कादिर राणा ने 72 हजार से भी ज्यादा वोट हासिल किये, लेकिन भाजपा के सुरेश संगल से वह पराजित हो गये। इसके बाद वह सपा में समर्पित होकर कार्य करते रहे। 2004 के लोकसभा चुनाव में कादिर राणा सपा से मजबूत दावेदार बने, लेकिन उनके स्थान पर मुजफ्फरनगर से सपा ने मुनव्वर हसन को टिकट दिया। राजनीतिक उपेक्षा के चलते उन्होंने सपा को छोड़ दिया और रालोद के टिकट पर 2007 में मोरना से चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उनको जीत मिली और वह विधान परिषद् के बाद यूपी विधानसभा में पहुंचे।
इसके बाद 2009 में उन्होंने बसपा का दामन थामा तो मायावती ने उनको मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया। इस चुनाव में कादिर राणा दलित मुस्लिम समीकरण के सहारे जीत दर्ज कराने में सफल रहे और संसद में पहुंचे। 2014 के चुनाव में बसपा ने उनको फिर से मैदान में उतारा, लेकिन इस चुनाव में मोदी लहर के कारण वह भाजपा के संजीव बालियान के सामने हार गये। 2017 के चुनाव में बसपा से उनकी पत्नी सईदा बेगम को बुढ़ाना विधानसभा सीट से टिकट दिया गया। यह चुनाव भी वह लहर के कारण हार गये।