मुज़फ्फरनगर । सांप्रदायिक दंगे के दौरान घरों में डकैती डालने और आगजनी करने के मुकदमे में कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में चार आरोपितों को दोष मुक्त (बरी) किया है। वहीं दो आरोपितों की पूर्व में मृत्यु हो चुकी है। इस मामले में गठवाला खाप के तत्कालीन चौधरी बाबा हरिकिशन के पुत्र राजेन्द्र सिंह (वर्तमान गठवाला खाप चौधरी) को भी आरोपित बनाया गया था, लेकिन एसआइटी की जांच में उन्हें क्लीन चिट मिल गई थी।

27 अगस्त 2013 को जानसठ क्षेत्र के गांव कवाल में शाहनवाज की हत्या के बाद उग्र हुई भीड़ ने ममेरे-फुफेरे भाई सचिन और गौरव निवासी मलिकपुरा की हत्या कर दी थी। तीन हत्याओं से जनपद और आसपास सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया था। विरोध में एक के बाद एक हुई पंचायतों के बाद सात सितंबर को दंगा भड़क उठा था। इसमें 60 से अधिक लोगों की जान गई और हजारों लोगों को पलायन करना पड़ा था। अभियोजन के अनुसार कैराना के राहत शिविर में शरण लेने वाले फुगाना थाना क्षेत्र के गांव लिसाढ़ निवासी अब्दुल जब्बार ने घरों में डकैती डालकर आगजनी करने का आरोप लगाते हुए 24 सितंबर को फुगाना थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।

अब्दुल जब्बार ने मुकदमा दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि आठ सितंबर 2023 को वह अपने घर पर था। कवाल कांड और नंगला मंदौड़ पंचायत में उत्तेजक भाषण के बाद सांप्रदायिक नारे लगाते हुए भीड़ ने उसके दोनों बेटों के घरों पर हमला बोल दिया था। आरोप था कि गांव के प्रमोद, धर्मेन्द्र, बिजेन्द्र, कृष्ण, ऋषि देव और सुरेन्द्र उर्फ बाबू आदि लोगों ने धारदार हथियार, लाइसेंसी बंदूक और लाठी-डंडे लिए भीड़ के साथ हमला बोल दिया था। आरोपितों ने घरों में रखा तीन तोले से अधिक सोने का जेवर और दो किलो से अधिक चांदी, सवा लाख रुपये नकद और बेचने के लिए लाया गया ढाई लाख रुपये से अधिक का कपड़ा लूट लिया था। भीड़ में शामिल लोगों ने जाते समय घरों में आग लगा दी थी।

बड़ी मुश्किल से परिवार के सदस्यों को लेकर वह गांव से निकले थे। एसआइटी ने मामले की विवेचना कर आरोपितों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। मुकदमे की सुनवाई एडीजे शक्ति सिंह ने की। दोनों पक्ष की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने प्रमोद पुत्र महक सिंह, बिजेन्द्र पुत्र धर्मपाल, कृष्ण पुत्र जगदीश और सुरेन्द्र उर्फ बाबू पुत्र श्रीपाल निवासी गांव लिसाढ़ को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। जबकि दो आरोपित धर्मेन्द्र और ऋषिदेव की पूर्व में मृत्यु हो चुकी है।

2013 सांप्रदायिक दंगों में 510 मुकदमे दर्ज हुए थे। हालांकि सिर्फ तीन मामलों में ही दोषियों को सजा हो पाई, जबकि 175 मुकदमों में एसआइटी ने चार्जशीट दाखिल की और 165 मुकदमों में एफआर लगाई और 170 मुकदमे विवेचना में खारिज हुए।