मुजफ्फरनगर। विदित त्यागी की एक फर्म थी रोहिणी इंडस्ट्रीज, जिस पर पंजाब नेशनल बैंक का 40 लाख रुपए का कर्ज था। विदित त्यागी कोविड व अन्य बीमारी के कारण कर्ज नहीं चुका पाया, तो बैंक ने उसकी संपत्ति कुर्क करके अपने कब्जे में ले ली और नीलाम कर दी।
पहली नजर में यह एक सामान्य बैंक प्रक्रिया लगती है, लेकिन जब मामले की जांच पड़ताल की गई तो पता लगा कि
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पंजाब नेशनल बैंक के मैनेजरों ने मुजफ्फरनगर में एक बड़ा रैकेट चला रखा है, जिसमें वह बकायेदारों की संपत्ति को जबरन कब्जाकर उन्हें औने पौने दाम में अपने साथियों के नाम नीलाम कर देते हैं।

23 अगस्त 2022 को पंजाब नेशनल बैंक ने विदित त्यागी की संपत्ति पर कब्जा किया,4 सितंबर 22 को अखबार में नीलामी की सूचना छपी और 14 अक्टूबर 2022 को नीलाम कर दिया, 19 अक्टूबर 2022 को खरीदार कपिल कुमार मलिक के पक्ष में बैनामा भी कर दिया, प्रथम दृष्टया सब सामान्य लगता है। लेकिन इसमें मजे की बात यह है कि बैंक ने 23 अगस्त 2022 को जब संपत्ति पर अपना कब्जा लिया था, तभी कपिल मलिक को इस प्रॉपर्टी पर कब्जा दे दिया था, यानी कि 14 अक्टूबर को नीलामी और 19 अक्टूबर को बैनामे की कार्यवाही मात्र कागजी खानापूर्ति थे, बैंक मैनेजरों ने कब्जा लेते ही सीधे-सीधे कपिल कुमार मलिक को प्रॉपर्टी कब्जे में दे दी थी।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने इस मामले में सीओ नयी मंडी रुपाली राय को मामले की जांच करने के आदेश दिए, सीओ ने बैंक अधिकारियों से पूरी पत्रावली तलब की और जांच करके पाया कि जो खबर छपी है वह 100 % सही है और बैंक में एक गिरोह इस तरह की गतिविधि में शामिल है, जिसमें बैंक के मैनेजर बकायेदारों की संपत्ति कब्जाकर कुछ चुने लोगो के साथ मिलकर बड़ा खेल कर रहे हैं, सीओ ने इस मामले में अपनी जांच रिपोर्ट वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को दी, जिन्होंने संयुक्त निदेशक अभियोजन से भी इस मामले में पूरी जांच कराई, जिसके बाद नई मंडी थाने में बैंक मैनेजरों समेत इस पूरे गैंग के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया गया है।

नई मंडी थाने में धारा 420 और 120 बी के तहत दर्ज किए गए इस मुकदमे में PNB गाँधी कॉलोनी के ब्रांच मैनेजर आशुतोष मिश्रा, बैंक अफसर आशीष कुमार, पंजाब नेशनल बैंक के रिकवरी ऑफिसर जसविंदर सिंह समेत कपिल कुमार मलिक निवासी गौतम बुद्ध नगर को अभियुक्त बनाया गया है, इन सभी पर धोखाधड़ी कर संपत्ति कब्जाने का आरोप है। जिसमें भोपा रोड स्थित राम समोसे वालों की संपत्ति भी नीरज गोयल और इसी गैंग को इसी तरह दे दी गई थी, जिसमें भी यही बैंक मैनेजर शामिल थे।
दरअसल इस बैंक में रिकवरी ऑफिसर जसविंदर सिंह और अन्य बैंक अधिकारी कुछ लोगों के साथ मिलकर एक गैंग चला रहे हैं और बैंक के बकायादारों की संपत्ति आनन-फानन में कब्जाकर औने पौने दाम में नीलाम दिखा देते हैं और बाकी रकम को बंदर बांट कर लेते हैं।