बागपत. जिले के किसानों के लिए अच्छी खबर। अच्छी प्रजाति के सुगंधित धान उत्पादन के लिए एकीकृत धान्य विकास कार्यक्रम के तहत बागपत जिले का चयन हुआ है। यानी बढ़िया प्रजाति का धान पैदा होने पर चावल निर्यात होगा, जिससे किसानों को अच्छा दाम मिलेगा। नेशनल फूड सिक्योरिटी मिशन योजना के एकीकृत धान्य विकास कार्यक्रम में धान उत्पादन को बागपत समेत प्रदेश के 38 जिलों का चयन हुआ।
बागपत में पीबी-150, पीबी-1509, पीबी-1121 तथा पीबी-1718 जैसी बढ़िया प्रजाति का धान पैदा कराया जाएगा। किसानों को बीज पर 50 प्रतिशत अनुदान देकर नर्सरी तैयार कराई जा रही है। कीटनाशकों का होगा कम प्रयोग धान खेती में रसायनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों का प्रयोग कम कराने को जैविक खाद, जैविक कीट नियंत्रक जैसे नीम का तेल और ट्राइकोगाम कार्ड, मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने को सूक्ष्म पोषक तत्वों तथा कृषि यंत्र पर अनुदान मिलेगा।
किसानों को कृषि की नवीनतम प्रौद्योगिकी का ज्ञान तथा धान खेती का प्रशिक्षण देने का काम भी होगा। सहायक विकास अधिकारी महेश कुमार खोखर ने बताया कि बागपत का धान दिल्ली और हरियाणा की मंडियों में जाता है, जहां से मिल मालिक उसे खरीदकर विदेश में चावल निर्यात करते हैं। इसलिए निर्यात के मानक पर खरा उतरने वाली अच्छी गुणवत्ता का धान पैदा करवाएंगे।
रकबा घटने के बावजूद बढ़ेगा उत्पादन कृषि उप निदेशक प्रशांत कुमार ने बताया कि गत साल के मुकाबले धान का रकबा कम हुआ है लेकिन उत्पादन बढ़ेगा। किसानों से प्रमाणिक बीज की पौध तैयार कराकर रोपाई कराएंगे। वैज्ञानिक ढंग से धान की खेती कराकर प्रति हेक्टेयर 32.39 कुंतल उत्पादन चावल के रूप में प्राप्त करने का लक्ष्य है। गत साल 28.88 कुंतल था। यानी गत साल से अब प्रति हेक्टेयर 3.51 कुंतल उत्पादन ज्यादा प्राप्त करेंगे।
इनका भी धान उत्पादन में चयन -पश्चिमी उप्र के सहारनपुर मुजफ्फरनगर, शामली, मेरठ, बिजनौर, बुलंदशहर, हापुड़, गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर जिले का चयन धान का उत्पादन कराने के लिए हुआ। बागपत में धान का ब्योरा -4790 हेक्टेयर भूमि पर होगा धान उत्पादन अब -4847 हेक्टेयर भूमि पर धान पैदा हुआ गत साल -15.74 हजार टन चावल उत्पादन का लक्ष्य अब -13.99 हजार टन चावल पैदा हुआ पिछले साल धान की खेती में रसायनिक उर्वरक-कीटनाशक प्रयोग कम कराकर जैविक खाद तथा जैविक कीट नियंत्रण का प्रयोग बढ़वाएंगे, ताकि चावल की गुणवत्ता बढ़िया मिले।