मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर में रेलवे की महापरियोजना डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ई-डीएफसीसी) पर मालगाड़ी की रफ्तार राजधानी एक्सप्रेस के जैसी रहेगी। लोडेड मालगाड़ी को 100 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलाया जाएगा। इसी सप्ताह फ्रेट कारिडोर की क्षमता, व्यवस्था का रेलवे की एसएजी की टीम परखेगी। उसके बाद कारिडोर को व्यावसायिक गतिविधि के लिए हरी झंडी मिलेगी।
कॉरिडोर के अधिकारी व्यवस्था को मुकम्मल करने में जुटे हैं। रेलवे की महापरियोजना में ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (ई-डीएफसीसी) को बिहार के सोननगर से लेकर पंजाब-लुधियाना के साहनेवाल तक बनाया गया है। चूंकि अभी तक मालगाड़ी का संचालन भारतीय रेलवे की रेलवे लाइन से किया जाता है। इससे माल पहुंचाने में समय और पैसा अधिक खपत होता है। क्योंकि सामान्य ट्रैक खाली मिलने के बाद मालगाड़ी को आगे बढ़ाया जाता है। इससे पूर्व उसे किसी आउटर या स्टेशन के निकट खड़े रहना पड़ता है। इससे मुक्ति पाने के लिए फ्रेट कारिडोर बनाया गया है। करीब 135 किलोमीटर का हिस्सा पूर्ण यह कारिडोर बुलंदशहर जनपद के खुर्जा से लेकर खतौली तक
करीब 135 किलोमीटर का हिस्सा पूर्ण हो गया है। यहां तक अप-डाउन में मालगाड़ी पहुंच रही है। उससे आगे समस्या ट्रैक पूर्ण नहीं होने व सामान्य के लाइन के खाली मिलने की बनी है। मुजफ्फरनगर से आगे देवबंद, पिलखनी और टपरी तक एलएनटी कंपनी सिग्नल समेत डीपी लगाने के काम में जुटी है।
इस काम के नहीं होने के कारण ट्रैक पर संचालन में बाधा बनी है। ई-डीएफसीसी मेरठ यूनिट के सीजीएम पवन कुमार ने बताया, कि जनवरी के प्रथम सप्ताह में सीनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रुप (एसएजी) की टीम खतौली से लेकर पिलखनी, टपरी तक निरीक्षण करेगी।
यह टीम ट्रैक को परखेगी, उसके बाद व्यावसायिक रूप से इस पर मालगाड़ी का संचालन होगा। मालगाड़ी को ट्रैक पर राजधानी एक्सप्रेस की रफ्तार जैसा गुजारा जाएगा। इसी माह के अंत तक मालगाड़ी का नियमित संचालन हो जाएगा। 15 खाली और छह लोडेड मालगाड़ी संचालित फ्रेट कारिडोर पर वर्तमान में छह लोडेड मालगाड़ी को खुर्जा से खतौली तक लाया जाता है, उसके बाद इंडियन रेलवे के ट्रैक से आगे बढ़ती है। वहीं, 15 खाली ट्रेन रोजाना खतौली से खुर्जा तक पहुंच रही है। जिनकी रफ्तार 100 किलोमीटर प्रतिघंटा रहती है।