नई दिल्ली। चकोतरा एक शानदार फल है. इसकी जबर्दस्त खटास और हल्का मीठापन दिल की मांसपेशियों को मजबूत रखता है और उसको अवरोधों से भी बचाता है. इसका सेवन शरीर को बेड कोलेस्ट्रॉल से दूर रखता है. यह शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करता है. अगर हम कहें कि दिल के लिए रामबाण है चकोतरा, तो अतिशयोक्ति नहीं होगी. यह भारत का नहीं है लेकिन उसके ‘करीब’ है. आयुर्वेद में इसके कई गुण दर्शाए गए हैं और बताया गया है कि शराबी को खिला दो तो उसका नशा काफूर हो जाएगा.

वनस्पतिशास्त्री चकोतरा को नींबू वंशी तो मानते हैँ लेकिन उनका कहना है कि यह फल अंगूर का पूर्वज है. उनका कहना है कि इन दोनों की जीन एकसमान हैं. भारत में यह अधिकतर पहाड़ी इलाकों में पैदा होता है ओर इसका समयकाल कम होता है. पुराने समय से ही लोगों को इसके गुणों की जानकारी मिल चुकी थी, इसलिए इसके पेड़ के फूलों, पत्तियों, छिलकों का भी विभिन्न कार्यों के लिए उपयोग होता है. तब चीन के लोग विभिन्न अनुष्ठानों में इसका उपयोग करते थे, जबकि इसके सफेद फूलों से इत्र भी बनाया जाता है.

चकोतरा की उत्पत्ति की बात करें तो माना जाता है कि सबसे पहले इसका पेड़ और आहार के रूप में इसका प्रयोग मलेशिया और इंडोनेशिया द्वीपसमूह में हुआ. लेकिन इसका समयकाल चिन्हित नहीं है. अमेरिकी-भारतीय वनस्पति विज्ञानी सुषमा नैथानी का भी कहना है कि चकोतरा की उत्पत्ति का केंद्र सियाम-मलय-जावा है और यह भारत और चीन के सीमावर्ती क्षेत्र हैं. विशेष बात यह है कि इस फल के मूल उत्पत्ति केंद्रों में इसका समयकाल वर्णित नहीं है, जबकि भारत और चीन का इतिहास इसका समयकाल भी बताता है.

माना जाता है कि यह जावा क्षेत्र से भारत व चीन की ओर आया. इन दोनों देशों में इसका उदयकाल ईसा पूर्व से कुछ शताब्दी पूर्व ही माना गया है. इसके प्रमाण इतिहास की पुस्तकों में दर्ज हैं.

भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथ ‘सुश्रुत संहिता’ में भारत में सर्वश्रेष्ठ फलों में चकोतरा (मातुलुंग) भी शामिल किया गया है. इन फलों में अनार, खजूर, अंगूर आदि शामिल हैं. इस फल को पाककला में भी उपयोगी कहा गया है. अन्य आयुर्वेदिक ग्रंथ ‘चरकसंहिता’ में इसकी एक हैरान करने वाली विशेषता बताई गई है कि जिस व्यक्ति ने अत्यधिक मदिरा का सेवन कर लिया है तो मातुलुंग को खिलाने से उसका नशा काफूर हो जाएगा. इसे वात-कफ को रोकने वाला, हिचकी, खांसी, उल्टी में लाभकारी भी बताया गया है. ग्रंथ में इसके छिलके व बीजों के गुणों की भी जानकारी दी गई है.