नई दिल्ली:कोरोना के नए और अपेक्षाकृत अधिक घातक वैरिएंट्स दुनियाभर में तीसरी लहर की आशंका को बढ़ा रहे हैं। कई देशों में कोरोना संक्रमण के मामले एक बार फिर से तेजी से बढ़ने लगे हैं। दूसरी लहर के दौरान जिस तरह की गंभीर जटिलाताएं सामने आई थीं, उससे सबक लेते हुए वैज्ञानिक उन उपायों को ढूंढने में लगे हुए हैं जिससे गंभीर संक्रमण के शिकार लोगों की जान बचाई जा सके। इसी दिशा में हाल ही में अध्यन के आधार पर वैज्ञानिकों ने कोरोना संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती गंभीर रोगियों की जान बचाने का नया तरीका ढूंढ निकाला है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अस्पताल में भर्ती कोविड रोगियों पर स्लीप एपनिया मास्क को प्रयोग में लाकर बीमारी को गंभीर रूप लेने और मृत्यु के खतरे को कम किया जा सकता है।
वारविक और क्वीन्स यूनिवर्सिटी बेलफास्ट के शोधकर्ताओं ने पाया कि अस्पताल में भर्ती कोरोना के मरीजों को कंटीन्यूअस पॉजिटिव एयर प्रेशर (सीपीएपी) की मदद से वेंटिलेटर पर जाने से बचाया जा सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस उपकरण की मदद से गंभीर रोगियों में मौत के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है।
आइए आगे की स्लाइडों में जानते हैं कि आखिर स्लीप एपनिया मास्क किस तरह से कोविड-19 रोगियों के लिए मददगार हो सकता है?
वैज्ञानिकों ने अध्ययन के दौरान पाया कि विशेष रूप से स्लीप एपनिया से पीड़ितों के लिए डिज़ाइन किया गया मास्क कोविड रोगियों की भी जान बचाने में भी सहायक हो सकता है। स्लीप एपनिया के रोगियों में यह मास्क, रात के दौरान आराम से सांस लेने में मदद करता है। कोविड-19 रोगियों पर अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि यह मास्क ऊपरी वायुमार्ग को क्षति पहुंचने से भी सुरक्षा देता है। चूंकि इससे फेफड़ों को लगातार पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलती रहती है, ऐसे में यह फेफड़ों के संक्रमण के खतरे को भी कम करने में सहायक हो सकता है।
कोविड-19 रोगियों में स्लीप एपनिया मास्क के लाभ को जानने के लिए वैज्ञानिकों ने ब्रिटेन के 48 अस्पतालों में भर्ती 1,200 से अधिक रोगियों पर इसका परीक्षण किया। वैज्ञानिकों ने पाया कि सीपीएपी थेरपी ले रहे मरीजों की स्थिति में सुधार हुआ और वेंटिलेटर पर जाने की आवश्यकताओं में कमी देखी गई। अध्ययन के आधार पर शोधकर्ताओं का कहना है कि इस थेरपी के माध्यम से आईसीयू यूनिटों पर पड़ रहे अतिरिक्त दबाव को भी कम करने में मदद मिल सकती है। कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण के बढ़ते मामलों के साथ दुनियाभर में आईसीयू बेडों की कमी के मामले सामने आए थे। इस अध्ययन का अभी पीर-रिव्यू होना बाकी है।
अध्ययन के बारे में वारविक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गेविन पर्किन्स बताते हैं, शुरुआत में मरीजों को सबसे प्रभावी उपचार देकर स्थिति को गंभीर होने से रोका जा सकता है। इस अध्ययन में सामने आया है कि सीपीएपी या स्लीप एपनिया मास्क के माध्यम से, वेंटिलेटर पर जाने जैसे गंभीर स्थिति से मरीजों को बचाया जा सकता है। हालांकि यहां ध्यान देने वाली बात यह भी है कि डॉक्टरों को सबसे पहले यह समझना होगा कि किन रोगियों को वास्तव में इस तरह की थेरपी की आवश्यकता है? इस थेरपी का अनावश्यक इस्तेमाल भी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है।
अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि कोरोना की संभावित तीसरी लहर में रोगियों को गंभीर स्थिति से बचाने में यह उपकरण कारगर साबित हो सकता है। अध्ययन के दौरान पाया गया कि सीपीएपी थेरपी लेने वाले 377 लोगों में से करीब 64 फीसदी लोगों को वेंटिलेटर पर भेजने की जरूरत नहीं पड़ी। जबकि ऑक्सीजन थेरपी लेने वाले 356 में से 45 फीसदी लोगों की हालत समय के साथ खराब होती गई, ऐसे में कहा जा सकता है कि सीपीएपी या स्लीप एपनिया मास्क का उपयोग कोविड-19 रोगियों की गंभीरता को काफी हद तक कम करने में सहायक हो सकता है।