मुजफ्फरनगर। सपा से हरेंद्र मलिक की जीत के साथ ही मुजफ्फरनगर लोकसभा का पुराना मिथक टूट गया। अब तक केवल भाजपा से ही पांच बार जाट नेता जीतकर संसद पहुंचे थे। पहली बार किसी दूसरे दल से कोई जाट नेता जीता और संसद पहुंच गया। गैर भाजपाई जाट नेताओं में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और रालोद मुखिया चौधरी अजित सिंह भी हार गए थे।
सपा प्रत्याशी हरेंद्र मलिक ने भाजपा प्रत्याशी और दो बार से सांसद डॉ. संजीव बालियान को हराकर नया इतिहास रचा है। इस सीट का इतिहास है कि यहां से आज तक एक भी गैर भाजपाई जाट चुनाव नहीं जीता था। जो भी बड़ा जाट नेता भाजपा के अलावा अन्य पार्टी से चुनाव लड़ा, उसे हार ही मिली।
भारतीय क्रांति दल से पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने 1971 में लोकसभा चुनाव लड़ा था। लेकिन वह सीपीआई के ठाकुर विजयपाल सिंह से हार गए थे। इससे पहले 1962 में सीपीआई के मेजर जयपाल सिंह कांग्रेस के सुमत प्रसाद जैन के सामने हार चुके थे। मेजर जयपाल सिंह भी रसूखदार जाट माने जाते थे। साल 1977 में जाट नेता वरुण सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन वह लोकदल के सईद मुर्तजा से हार गए1998 में जिले के बड़े जाट नेता हरेंद्र मलिक ने सपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें भी बीजेपी के सोहनवीर सिंह ने हरा दिया।
2009 लोकसभा चुनाव में जनपद की राजनीति में गहरा प्रभाव रखने वाली अनुराधा चौधरी भी बसपा के क़ादिर राणा के सामने हार गई थीं। अनुराधा चौधरी ने भाजपा के गठबंधन में रालोद के टिकट पर चुनाव लड़ा था। गैर भाजपाई जाट की हार का यह सिलसिला 2019 में भी जारी रहा। उस लोकसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर सीट से रालोद के अजीत सिंह ने चुनाव लड़ा, लेकिन वह भी भाजपा के डॉ संजीव बालियान के सामने हार गए। पिछले 32 साल की सियासत के दौरान इस सीट पर भाजपा के जाट प्रत्याशी पांच बार जीत चुके हैं।
मुजफ्फरनगर में भाजपाई जाट का खाता 1991 में खुला जब भाजपा के नरेश बालियान ने जनता दल के मुफ्ती मोहम्मद सईद को हराया। 1996 में भाजपा के सोहनवीर सिंह ने सपा के संजय सिंह को हराया। 1998 में भाजपा के सोहनवीर सिंह ने सपा के हरेंद्र मलिक को हराया। 2014 में भाजपा के डाॅ. संजीव बालियान ने कादिर राणा को हराया जबकि डाॅ. संजीव बालियान ने 2019 में रालोद के अजित सिंह को हराकर अपनी जीत दूसरी बार बरकरार रखी। अब हरेन्द्र मलिक ने भाजपा के जाट को हराकर यह मिथक तोड़ दिया है।