नई दिल्ली. कोरोना महामारी ने हमारे जीवन को बुरी तरह से प्रभावित किया है. इस महामारी ने हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाला है. कोरोना वायरस का संक्रमण कुछ हद तक थमा है लेकिन, अभी भी इसका संकट पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ. अभी भी प्रतिदिन हजारों की संख्या में मामले सामने आ रहे हैं. जो लोग कोरोना से संक्रमित होते हैं उन्हें बेहतर महसूस करने में कम से कम 12 सप्ताह का समय लग जाता है, लेकिन कुछ ऐसे लोग हैं जिनमें 12 सप्ताह बाद भी इसके लक्षण दिखाई देते रहे हैं इसे लॉन्ग कोविड कहा जाता है.
कोरोना महामारी को लगभग 2 साल बीत चुके हैं लेकिन अभी भी इस पर वैज्ञानिक और हेल्थ एक्सपर्ट लगातार रिसर्च कर रहे हैं. वैज्ञानिक कोरोना वायरस के दीर्घकालिक परेशानियों की खोज में जुटे हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार इस बीच ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में एक लेख प्रकाशित हुआ जिसमें लॉन्ग कोविड के लक्षण के रूप में कोविड स्ट्रैंगल को शामिल किया गया था.
पहले खांसी, जुकाम के साथ साथ बुखार आना कोरोना वायरस का एक प्रमुख लक्षण था. बुखार आने से पहले लोगों को गले में खराश की समस्या होने लगती थी और इसी बात से कोरोना के संकेत मिल जाते थे. अब खांसी, खराश के साथ-साथ एक और लक्षण इसमें जुड़ गया है जो कि है आपकी बदली हुई आवाज. एक्सपर्ट के मुताबिक अगर आपको गले की कोई गंभीर समस्या नहीं है और अचानक आपकी आवाज बदलती है, बेचैनी महसूस होती है और सांस लेने में दिक्कत होती है तो यह कोरोना के संकेत हो सकते हैं जिसे कोविड स्ट्रैंगल कहते हैं.
कोविड स्ट्रैंगल में सांस लेने में कठिनाई के कारण आपको कुछ भी निगलने में भी दिक्कत हो सकती है. जब हम किसी भी भोजन या तरल पदार्थ को फेफड़ों में जानें से रोकने के लिए निगलते हैं तो हम स्वाभाविक रूप से अपनी सांस रोकते हैं. सांस लेने में कठिनाई की वजह से सांस रोकने और निगलने में समन्वय बनाने में परेशानी का कारण बन सकती है.
लॉन्ग कोविड की समस्या किन लोगों को हो सकती है इस बारे में फिलहाल अभी कोई भी स्पष्ट उत्तर नहीं है. एक्सपर्ट इसे लेकर रिसर्च कर रहे हैं. हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है लॉन्ग कोविड उन लोगों में आम है जिन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी है. एक्सपर्ट ने अपनी रिसर्च में यह पाया कि यह उन लोगों में भी अधिक आम है जो लंबे समय से अस्पताल में भर्ती थे और जिनकी आयु 35-69 वर्ष थी. एक्सपर्ट का मानना है कि जो लोग कम एक्टिविटी करते हैं उन लोगों को भी लांन्ग कोविड का खतरा अधिक रहता है.
वैसे तो लॉन्ग कोविड के कई लक्षण हैं. जरूरी नहीं है कि सभी लोगों में यह लक्षण समान हों. एक व्यक्ति में दूसरे व्यक्ति में भिन्न भिन्न लक्षण दिखाई देते हैं. थकान होना, सांस फूलना, छाती में दर्द होना, ब्रेन फॉग, मानसिक थकान, चक्कर आना, सुगंध और गंध का कम महसूस होना, स्किन पर चकत्ते होना, आंख आना, नींद में कमी, चिंता, अवसाद और जोड़ों के साथ साथ मांसपेशियों में दर्द होना.
एक्सपर्ट की मानें तो हम कई बार अपने खानपान में कुछ बदलाव करके लॉन्ग कोविड के लक्षणों को कंट्रोल कर सकते हैं. अगर कोई लॉन्ग कोविड के लक्षण से पीड़ित है तो उसे अपने आहार में दही, बीयर, शराब, मांस, पुराना चीज, तली हुई मछली, और साथ ही डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ से बचना चाहिए.