मुजफ्फरनगर। स्वास्थ्य विभाग महिला-पुरुष दोनों की नसबंदी पर जोर देता है लेकिन नसबंदी में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं आगे रहती हैं। काफी समझाने के बाद भी पुरुष नसबंदी के लिए आगे नहीं आते लेकिन आशा कार्यकर्ता सुदेश ने पुरुषों की इस झिझक को तोड़ने की सकारात्मक पहल की है।
गालिबपुर गांव निवासी सुदेश स्वास्थ्य विभाग में आशा हैं। वह अपने गांव गालिबपुर में घर-घर पहुंचीं और पुरुष नसबंदी के भ्रम को तोड़ने की कोशिश की लेकिन पहली बार में बात नहीं बनी। इसके बाद कुछ परिवार चयनित किए और उनकी महिलाओं को नसबंदी के लाभ समझाए। इससे आगे की राह आसान हो गई। मई-जून में नसबंदी पखवाड़े के दौरान उन्होंने एक-एक कर गांव के 21 पुरुषों की नसबंदी करा दी।
चिकित्सा प्रभारी डा. अवनीश कुमार ने बताया कि इस कार्य के लिए आशा सुदेश को विभाग की ओर से सम्मानित किया गया। वह नसबंदी योजना में उत्कृष्ट कार्य कर रही हैं। उन्हें अन्य गांवों में भी महिला, पुरुषों को नसबंदी के लाभ बताने की जिम्मेदारी दी गई है। नसबंदी कराने वाले पुरुष को तीन हजार रुपये प्रोत्साहन राशि मिलती है।