बागपत। पुराने कस्बे में आज भी होली का पर्व 100 साल पुरानी परंपरा के साथ मनाया जाता है। जहां होली से दो दिन पहले ही ढोल व नगाड़ों के साथ गीत गाते हुए लोगों की टोली घर-घर जाती है। साथ ही होली पर्व पर भाईचारा बनाए रखने और त्योहार को शांति से मनाने की अपील भी करते हैं।
शहर के पुराने कस्बे में होली का पर्व कुछ अलग तरीके से मनाया जाता था। होली की तैयारियां एक माह पहले ही शुरू हो जाती है और घरों में गुजिया व अन्य पकवान बनाए जाते हैं। इसके अलावा कई पीढि़यों से चली आ रही परंपरा का भी पालन किया जाता है। जिसमें पुराने कस्बे के सभी परिवारों के सदस्य भाग लेते है।
पुराना कस्बा निवासी श्रीनिवास चौहान, पवन चौहान, सुखपाल चौहान, चौधरी प्रेमपाल सिंह ने बताया कि होली पर्व से दो दिन पहले ही पुराने कस्बे में होली का रंग देखने को मिल जाता है।
जिसमें पुराने कस्बे के चौहनान, गुजरान, कुम्हारान समेत सभी मोहल्लों के लोग इकट्ठा होकर ढोल नगाड़ों के साथ गीत गाते हुए घर घर जाते हैं। इसके बाद होली के दिन विधि विधान से होलिका की पूजा की जाती है और होलिका दहन होने तक ढोल नगाड़े बजाए जाते हैं।
होली पर्व पर लोग पुराने गिले शिकवे दूर कर आपस में गले मिलते है। कस्बे में कई ऐसे परिवार है, जिनके बीच होली पर विवाद खत्म हुआ। लंबे समय से चली आ रही परंपरा के साथ होली पर्व मनाया जाता है।
पुराने कस्बे के अलग-अलग मोहल्लों में रहने वाले लोग सामूहिक रूप से होलिका दहन करते हैं। जिसमें शाम चार बजे होलिका दहन को लेकर ढोल बजने लगते हैं और होलिका दहन होने तक बजते रहते हैं। सभी को सद्भाव के साथ होली मनानी चाहिए।