ग्रेटर नोएडा | एक तरफ पेगासस स्पाइवेयर की मदद से जासूसी देश में चर्चा और विवाद का विषय बनी हुई है वहीं, दूसरी ओर पेगासस की तर्ज पर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, मोबाइल एप आदि से की जा रही जासूसी दांपत्य जीवन में भी दरार डाल रही है। इसने कई परिवारों का सुख-चैन छीन लिया है। कई घरों में इसको लेकर आए दिन झगड़ा और विवाद हो रहे हैं। मामले थाने से लेकर अदालत तक पहुंच रहे हैं

गौतमबुद्ध नगर पुलिस और शारदा विश्वविद्यालय के संयुक्त प्रयास से नॉलेज पार्क स्थित पारिवारिक विवाद समाधान केंद्र में ऐसे कई मामले आए हैं। जिनमें केवल पुरुष ही नहीं महिलाएं भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, मोबाइल एप, सीसीटीवी, गूगल मैप आदि से एक दूसरे की निगरानी कर रही हैं। मामूली शक होने पर भी दंपती के बीच झगड़ा होता है और बात तलाक तक पहुंच जाती है।

कई मामलों में इस तरह के इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य दंपती व उनके अधिवक्ताओं ने तलाक लेने के लिए अदालत में भी पेश करने के लिए सुरक्षित रखे हैं। समाधान केंद्र की काउंसलिंग टीम इस समस्या के समाधान के प्रयास में जुटी है। टीम दंपती को यह समझाने का प्रयास करती है कि पुरुष या महिला जिन बातों को लेकर एक दूसरे पर शक करते हैं। उन्हें एक दूसरे की जगह खुद को रखकर सोचना चाहिए कि क्या निजी जीवन में खुद ऐसा नहीं करते।

क्षेत्र की महिला ने काउंसलिंग टीम को बताया कि उसके पति ने महिला के मोबाइल में स्क्रीन रिकार्डिंग ऑन कर दी। इससे मोबाइल में दिन भर की गतिविधियों की वीडियो रिकॉर्ड हो गई। वीडियो देखकर पति को पता चला कि महिला ने परिचित युवक की फेसबुक प्रोफाइल ओपन कर पोस्ट को देखा है। इसी बात पर पति महिला पर शक करने लगा। जबकि महिला का कहना था कि जिस युवक की प्रोफाइल उसने देखी वह सहेली का भाई है।

एक अन्य मामले में एक महिला का अपने पति से मोबाइल पर संपर्क पूरे दिन संपर्क नहीं हो पाया। इससे महिला पति पर शक करने लगी। देर शाम जब पति से बात हुई तो उसने पूरे दिन की मालुमात हासिल की। पति जब रात को वापस लौटा तो महिला ने गूगल मैप से दिनभर की लोकेशन चेक की। तब उसे पता चला कि उसके पति ने जहां होने की बात कही थी वह लोकेशन से मेल नहीं खाया। इस बात पर महिला का शक बढ़ गया और दंपती में विवाद बढ़ गया।

एक अन्य मामले में सामने आया कि पति ने पत्नी के मोबाइल में ऑटो रिकॉडिंग ऑन कर दी। इससे महिला की बातें रिकॉर्ड हो जाती थीं। पति बाद में चुपके से कॉल रिकार्डिंग सुनने लगा। ससुराल की कुछ बातें मायके वालों से करने पर पति ने कड़ा ऐतराज जताया। इससे दंपती में मनमुटाव शुरू हो गया। इसके बाद महिला ने भी पति के मोबाइल में एक ऐसा एप अपलोड किया। जिससे महिला अपने पति की दिन भर निगरानी करने लगी। कुछ कॉल और सर्चिंग पर उसने पति के चरित्र पर सवाल उठा दिए। इससे दोनों में विवाद बढ़ गया।

काउंसलिंग टीम की को-ऑर्डिनेटर व कानूनी विशेषज्ञ डॉ. रितु गौतम कहती हैं कि इलक्ट्रॉनिक उपकरणों से एक दूसरे की जासूसी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। आमतौर पर हर दूसरे केस में इस तरह की बात सामने आती है। काउंसलिंग के दौरान सबसे पहले दंपती को यह समझाने का प्रयास किया जाता है, जिसे लेकर वह अपने साथी पर शक कर रहे हैं। ऐसा क्या उन्होंने अपने जीवन में कभी नहीं किया। इसके बाद उन्हेें एक दूसरे पर विश्वास करने और दांपत्य के महत्व को समझाया जाता है। साथ ही उन्हें साक्ष्य डिलिट
करने की सलाह दी जाती है। अगर पति या पत्नी साक्ष्य डिलिट कर देती हैं तो यह माना जाता है कि दोनों साथ रहने को प्रतिबद्ध हैं। वहीं कुछ मामले इतने पेचीदा हो जाते हैं
कि उन्हें सुलझाना मुश्किल हो जाता है।