पटना. बिहार में कोरोना की तीसरी लहर सामुदायिक संक्रमण में तब्दील हो चुकी है। इनमें से 0.01 प्रतिशत मरीज भी गंभीर हुए तो कोरोना के लिए आरक्षित सभी बेड भर जाएंगे। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने होम आइसोलेशन में उपचार व्यवस्था को और बेहतर करने की कवायद शुरू कर दी है। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी दिशा-निर्देश में कहा गया है कि यदि तीन दिन बुखार रहे तो मरीजों को इंनहेलर लेना चाहिए। इसके अलावा पांच दिन तक लक्षण बने रहने पर रोगी को नजदीकी कोविड केयर सेंटर में भर्ती हो जाना चाहिए। गांवों में भी होम आइसोलेशन में रह रहे गंभीर रोगियों की सूचना तुरंत मिल सके इसके लिए गुरुवार से हित एप भी शुरू हो जाएगा।

एक से दस जनवरी के आंकड़ों के अनुसार 60 वर्ष से अधिक और नवजात से 19 वर्ष तक के बच्चों में संक्रमण दर सबसे कम है। संक्रमितों में सबसे अधिक संख्या 20 से 29 आयुवर्ग के लोगों की है। इसके बाद 40 से 49 वर्ग के लोगों की संख्या है। करीब 98 प्रतिशत मरीज होम आइसोलेशन में हैं।

पहले दिन से 8-8 घंटे पर आक्सीजन स्तर की जांच करें। 6 मिनट टहलने के बाद यदि आक्सीजन स्तर 94 से कम हो जाए या 3 प्रतिशत कम हो जाए तो सतर्क हो जाएं। बुखार की दवा खाने से पहले तीन या चार बार बुखार माप कर उसका चार्ट बनाएं।
102 डिग्री से अधिक बुखार होने पर डाक्टर से परामर्श करें। 3 तीन दिन लगातार बुखार रहने पर वयस्क लोग स्पेसर की मदद से ब्यूडेसोनाइड इन्हेलर का दस दिन तक प्रयोग करें। पांच दिन तक लगातार 101 बुखार रहने, गले में खराश, दस्त, सांस लेने में तकलीफ हो तो कहीं भर्ती हो जाएं। जब तक अस्पताल पहुंचे, उस बीच प्रोनिंग करते रहें ताकि शरीर में आक्सीजन स्तर बरकरार रहे।