नई दिल्ली।  संभल हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम निर्देश देते हुए निचली अदालत से संभल जामा मस्जिद मामले पर सुनवाई न करने को कहा है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन को कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने की भी हिदायत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने को कहा है और कहा कि अब हाईकोर्ट के निर्देश पर ही कोई कार्रवाई हो सकेगी।

दरअसल मस्जिद समिति ने सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर कर मस्जिद का सर्वे कराने के निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी थी। इस पर मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि वह उच्च न्यायालय क्यों नहीं गए। पीठ ने कहा कि यह मामला उचित मंच पर उठाया जाना चाहिए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कुछ अहम निर्देश दिए, जिनके मुताबिक निचली अदालत को इस मामले पर सुनवाई करने से रोक दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत के फैसले से उन्हें कुछ आपत्तियां हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई उच्च न्यायालय द्वारा किए जाने का निर्देश दिया है। साथ ही सर्वोच्च अदालत ने उच्च न्यायालय से याचिका दायर होने के बाद तीन दिनों में याचिका पर सुनवाई करने का निर्देश दिया।

गौरतलब है कि निचली अदालत के आदेश के बाद एडवोकेट कमिश्नर द्वारा संभल जामा मस्जिद का सर्वे किया गया। इस सर्वे के दौरान ही बीते दिनों संभल में हिंसा भड़की, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हालात को देखते हुए एडवोकेट कमिश्नर की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में रखने और जारी न करने का भी निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश प्रशासन को हिदायत दी है कि शांति और सद्भाव का माहौल कायम रखा जाए। अदालत ने प्रशासन से शांति समिति गठित कर सद्भाव कायम करने का भी निर्देश दिया।

कोर्ट ने कहा कि जिस जल्दबाजी में मामले पर ट्रायल कोर्ट ने सुनवाई की और सर्वे के आदेश दिए गए, उससे स्थानीय लोगों के मन में शक हुआ, जिसकी वजह से वे घरों से बाहर निकले। रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस ने उन पर फायरिंग की, जिससे मासूम लोगों की जान गई और कई घायल हुए। मस्जिद समिति की तरफ से वरिष्ठ वकील हुजैफा अहमदी अदालत में पेश हुए। वहीं प्रतिवादी पक्ष की तरफ से वकील विष्णु शंकर अदालत में पेश हुए।

दरअसल हिंदू पक्ष ने ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया कि संभल की जामा मस्जिद एक मंदिर को तोड़कर बनाई गई है। हिंदू पक्ष का कहना है कि पूर्व में यहां हरिहर मंदिर था, जिसे साल 1526 में मुगल बादशाह बाबर ने तुड़वाकर वहां मस्जिद का निर्माण कराया था, जिसे आज संभल की जामा मस्जिद के नाम से जाना जाता है। इस याचिका पर ट्रायल कोर्ट ने बीती 19 नवंबर को मस्जिद का सर्वे एडवोकेट कमिश्नर से कराने का आदेश दिया था। इस सर्वे के दौरान 24 नवंबर को संभल में हिंसा भड़क गई, जिसमें चार लोगों की जान चली गई।