मेरठ। 26 साल पहले हुए इंद्रपाल ढाका हत्याकांड में उम्रकैद की सजा पाए पूर्व विधायक सतेंद्र सोलंकी को दिल्ली हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। कैंट इलाके की एक प्रापर्टी को लेकर इंद्रपाल की 17 गोलियां मारकर हत्या की गई थी।

इंद्रपाल बागपत के गांव ढिकौली का रहने वाला था और सतेंद्र सोलंकी बागपत के जिमाना गुलियान गांव का रहने वाला था। दोनों ने मेरठ में अपनी प्रापर्टी खरीद ली थी और राजनीति में सक्रिय हो गए थे। इंद्रपाल ने साल 1996 में खेकड़ा से मदन भैया के सामने विधायक का चुनाव लड़ा था और उसे 17 हजार वोट मिले थे। कैंट इलाके में एक मकान को लेकर सतेंद्र सोलंकी का इंद्रपाल से विवाद हुआ था। पुलिस ने बताया था कि सतेंद्र सोलंकी के बदमाशों से संपर्क थे। 24 जून 1997 को जेल चुंगी पर सतेंद्र और उसके भाई हरेंद्र सोलंकी ने इंद्रपाल और उसके साथी अशोक को घेर लिया। दोनों भाइयों ने इंद्रपाल पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं। इसमें इंद्रपाल को 17 गोली मारी गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में 11 गोली इंद्रपाल के शरीर से निकली थी।

बिनौली ब्लॉक के जिवाना गुलियान गांव निवासी सतेंद्र सोलंकी को साल 1993 में जनता दल ने बरनावा से टिकट दिया। नामांकन के बाद मतदान से कुछ दिन पहले ही जनता दल ने उनसे समर्थन वापस लेकर निर्दलीय सुधीर राठी को समर्थन दे दिया। सोलंकी जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन भाजपा के त्रिपाल धामा के सामने वह करीब 187 वोट से हार गए। सोलंकी को साल 2007 में बरनावा सीट से रालोद ने टिकट दिया। यहां से पहली बार चुनाव जीतकर वह विधानसभा पहुंचे। नए परिसीमन में हुए साल 2012 के चुनाव में बरनावा सीट खत्म हो गई और बड़ौत नई सीट बनीं, लेकिन रालोद ने दोबारा सोलंकी को टिकट नहीं दिया। सोलंकी ने साल 2017 बसपा ज्वाइन कर ली। उन्होंने मेरठ कैंट से चुनाव लड़ा। उन्हें 56 हजार वोट मिले और वह हार गए। इसके बाद साल 2019 के लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से पहले उन्होंने लखनऊ में भाजपा ज्वाइन कर ली थी।