मुम्बई। एक वक्त देश की सबसे टॉप हस्तियों में शुमार रहे सहारा ग्रुप के चेयरमैन सुब्रत रॉय का बीती रात निधन हो गया। सुब्रत रॉय के निधन से पूरा देश स्तब्ध है। जिस सुब्रत रॉय से नजदीकी बनाने के लिए देश की बडी हस्तियां भीं लालायित रहती थीं, जीवन के आखिरी पलों में उन्हें अपने बीबी ओर बच्चों तक का साथ नहीं मिला।

बॉलीवुड से लेकर राजनेताओं तक पहुंच रखने वाले सहारा ग्रुप के चेयरमैन सुब्रत राय सहारा का आज मुंबई में निधन हो गया है। उनके निधन की खबर ने न केवल बिजनेस जगत को बल्कि इंडस्ट्री को भी गहरा सदमा दिया है। राजनेताओं से लेकर बिजनेसमैन और बॉलीवुड हस्तियों तक सभी उनके निधन पर शोक व्यक्त कर रहे हैं।

सहारा प्रमुख ने 75 साल की आयु में अंतिम सांस ली। वह उद्योग जगत के साथ ही बी-टाउन में भी पहचान रखते थे। आलम यह था कि उनके जीवन पर एक बायोपिक बनने वाली है, जिसका एलान कुछ समय पहले किया गया था।

मुंबई, बेंगलुरु और दिल्ली की कई हस्तियों से लेकर मुख्यमंत्रियों तक अपनी पहुंच रखने वाले सुब्रत रॉय सहारा ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। अपनी मेहनत के दम पर देश-विदेश में नाम कमाने वाले सुब्रत रॉय सहारा के निधन ने सभी को झकझोर कर रख दिया है।

हालांकि, उनकी विरासत का अंत यहां नहीं होगा। दरअसल, कुछ महीनों पहले सुब्रत रॉय के जीवन को फिल्म ’सहाराश्री’ के रूप में पर्दे पर लाने का एलान किया जा चुका है। फिल्म के निर्देशन की कमान ’द केरल फाइल्स’ जैसी संगीन फिल्म बनाने वाले निर्देशक सुदीप्तो सेन को दी गई है।

सुब्रत रॉय सहारा की बात करें तो उनका जन्म 10 जून 1948 को बिहार के अरारिया जिले में हुआ था। पूरे देश में ’सहाराश्री’ के नाम से मशहूर सुब्रत रॉय सहारा ने साल 1978 में गोरखपुर में व्यवसाय शुरू कर सहारा इंडिया परिवार की नींव रखी थी।

उन्होंने अपने दिमाग और मेहनत के दम पर इस कदर नाम कमाया था कि साल 2012 में इंडिया टुडे पत्रिका ने सुब्रत रॉय को भारत के 10 सर्वाधिक अमीर लोगों में शामिल किया था। सहारा समूह मनोरंजन से लेकर मीडिया, रिटेल तक तमाम क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

सहारा समूह के चेयरमैन सुब्रत राय बीते कई महीनों से अस्वस्थ थे। करीब दो माह पूर्व वह इलाज के लिए मुंबई गये थे। वह अपने पीछे पत्नी स्वप्ना राय और दो बेटों सुशांतो और सीमांतो को छोड़ गए है। तीनो कई साल से विदेश में हैं।

करीब एक दशक पूर्व रेलवे के बाद सबसे ज्यादा नौकरियां देने वाले सहारा समूह का पतन सेबी के साथ हुए विवाद से शुरू हुआ। सेबी ने सहारा की दो कंपनियों में जमा निवेशकों की रकम को नियम विरुद्ध तरीके से दूसरी कंपनियो में ट्रांसफर करने पर आपत्ति करते हुए करीब 24 हजार करोड़ रुपए जमा कराने का आदेश दिया था।

बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए कई महीने तक सुब्रत राय को जेल में रखा। सहारा समूह की संपत्तियों की बिक्री पर रोक लगा दी गयी।

कोर्ट के आदेश पर बिकने वाली संपत्तियों से मिलना वाली रकम भी सहारा को सेबी के पास जमा कराने का आदेश दिया। सहारा ने कुछ किस्तों में सेबी को कुल जमा धनराशि का बड़ा हिस्सा दिया, लेकिन पूरी रकम को जमा नहीं कर सका। इस बीच सहारा ग्रुप की कंपनियों और उसके निदेशकों के खिलाफ कई राज्यों में सैंकड़ों मुकदमे दर्ज होते गए और पुलिस सुब्रत राय और बाकी निदेशकों की तलाश में लखनऊ समेत कई जगहों पर छापा मारती रही।

हालांकि सहारा समूह को कुछ राहत तब मिली जब केंद्र सरकार ने सहारा के निवेशकों की रकम को वापस करने के लिए पोर्टल शुरू किया। सहारा समूह के पास वर्तमान में देश के कई शहरों में संपत्तियां हैं जिनकी कीमत दो लाख करोड़ से अधिक होने का दावा किया जाता है।

बिहार के अररिया जिले के निवासी सुब्रत रॉय ने कोलकाता और गोरखपुर में शिक्षा हासिल करने के बाद वर्ष 1978 में माइक्रो फाइनेंस का कारोबार शुरू किया था। देखते ही देखते सहारा समूह छोटे निवेशकों की कमाई को जमा करने और उनको लुभावने ब्याज पर रकम वापस करने वाला बड़ा समूह बन गया।

बाद में सहारा समूह ने रियल एस्टेट के कारोबार में भी हाथ आजमाया। वर्तमान में यह समूह इलेक्ट्रिक वाहन, इंश्योरेंस, मीडिया आदि सेक्टर में काम कर रहा है। सहारा के पास लखनऊ, गोरखपुर, मुंबई में तमाम बेशकीमती संपत्तियां हैं, जिसमें एंबी वैली प्रमुख है।