नई दिल्ली। आप सोच रहे होंगे कि बारिश का मौसम है, तेज धूप भी नहीं फिर भी भयानक पसीने वाली गर्मी क्यों हो रही है? दरअसल, इस समय जो मौसम बना है उसमें सिर्फ धूप या गर्मी आपकी मुश्किल नहीं बढ़ा रही है। मौसम का आकलन करने में काम आने वाले तीन पैरामीटर है जो आपके डिस्कंफर्ट को बढ़ा रहे हैं। मौसम वैज्ञानिक इन्हें डिस्कंर्फेटबल इंडेक्स में नापते हैं। मौसम वैज्ञानिकों के जब तक हवा में आर्द्रता, हवा की रफ्तार और तापमान तीनों पैरामीटर में से किसी एक में बदलाव नहीं होगी होगा तब तक ये मुश्किल हालात बने रहेंगे।
मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, अगर हवा में आर्द्रता का स्तर 50 फीसदी से ज्यादा हो, हवा की स्पीड 10 किलोमीटर प्रति घंटा से कम हो और तापमान अगर 32 डिग्री सेल्सियस से कम हो तो ऐसा मौसम बन जाता हे उसमें जितना तापमान होता है उससे कहीं अधिक गर्मी और उमस महसूस होती है। वैज्ञानिक इस मौसम को डिस्कंर्फेटबल इंडेक्स के तहत नापते हैं।
मौसम में असहजता को ध्यान में रखते हुए ही डिस्कंर्फेटबल इंडेक्स को बनाया गया है। मौसम वैज्ञानिक समरजीत चौधरी के मुताबिक पिछले कुछ दिन से अधिकतम तापमान 34 से 34 डिग्री सेल्सियस के बीच बना हुआ है। हवा में आर्द्रता का स्तर 50 फीसदी से ज्यादा बना हुआ है और हवा भी बहुत धीमी चल रही है। इसी के चलते लोगों को बेहद पसीने वाली गर्मी का अहसास हो रहा है। डिस्कंर्फेटबल इंडेक्स पर रेटिंग काफी ऊंची दर्ज की जा रही है।
दरअसल इस समय सामान्य तौर पर मानसून रेखा उत्तर भारत में रहती है। लेकिन इस समय मध्य प्रदेश में बने कम दबाव के क्षेत्र के चलते ये दक्षिण राजस्थान से होते हुए मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ होते हुए गुजर रही है। मध्य प्रदेश में बने कम दबाव में कमी आना शुरू हो चुकी है। अगले दो दिनों में ये दबाव काफी कम हो जाएगा। ऐसे में एक बार फिर मानसून रेखा उत्तर भारत की ओर आएगी। ऐसे में यहां अच्छी बारिश देखी जाएगी।
असुविधा सूचकांक एक सूचकांक है जिसमें हवा के तापमान और आर्द्रता को जोड़ता है, इसके जरिए इन पैरामीटर पर इंसान को महसूस होने वाली गर्मी का अनुमान लगाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, जब हवा में आर्द्रता का स्तर 70 डिग्री हो और तापमान 32 डिग्री सेल्सियस (9 0 डिग्री फ़ारेनहाइट) हो और हवा बहुत धीरे हो, तो किसी इंसान को महसूस होने वाली गर्मी लगभग 41 डिग्री सेल्सियस (106 डिग्री फ़ारेनहाइट) के बराबर होती है। इस गर्मी सूचकांक तापमान में 20% की एक अंतर्निहित (अस्थिर) आर्द्रता है।
इंसान का शरीर आमतौर पर बहुत गर्मी होने पर पसीने से खुद को ठंडा करता है। उस पसीने की वाष्पीकरण से हीट को शरीर से निकाल दिया जाता है। हालांकि, हवा में मौजूद ज्यादा आर्द्रता वाष्पीकरण दर को कम कर देता है। इसका परिणाम शरीर से गर्मी कम करने की दर में होता है, इसलिए अधिक गर्मी होने पर सनसनी होती है। शरीर की बनावट, अवस्था, हाइड्रेशन आदि के आधार पर गर्मी महसूस करने की दर भी अलग अलग होती है। डिस्कंर्फेटबल इंडेक्स पर इसको दर्ज किया जा सकता है।