मुजफ्फरनगर । जनपद के महाविद्यालयों, तकनीकी संस्थानों एवं अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के प्राचार्य एवं प्रधानाचायों की एक बैठक विकास भवन में मुख्य विकास अधिकारी संदीप भागिया की अध्यक्षता एवं जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ0 धर्मेन्द्र शर्मा के निर्देशन में सम्पन्न हुई।
बैठक में कन्या सुमंगला योजना, पूर्व दशम् एवं दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना, प्रोजेक्ट अलंकार, शैक्षिक सत्र उन्नयन, शैक्षिक कलैण्डर के अनुपालन, विभिन्न ऑनलाइन पोर्टल के प्रयोग आदि सम्बन्धी योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की गयी।
मुख्य विकास अधिकारी ने कन्या सुमंगला योजना के बारे में विस्तृत रूप से बताते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा बालिकाओं एवं महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा के साथ-साथ विकास हेतु नये अवसर प्रदान करने के लिए यह योजना आरम्भ की गयी है। इस योजना के क्रियान्वयन से कन्या भ्रूण हत्या, बाल विवाह जैसी कुरीतियों के रोकथाम के प्रयास को बल मिलेगा, वहीं दूसरी ओर बालिकाओं को उच्च शिक्षा व रोजगार के अवसरों की ओर बढ़ने का अवसर भी प्राप्त होगा।
उन्होंने अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्यों से आह्वान किया कि मुख्यमंत्री द्वारा आरम्भ किये गये प्रोजेक्ट अलंकार योजना के अन्तर्गत 75 वर्ष से अधिक अथवा कम वर्ष वाले जर्जर विद्यालयों की मरम्मत एवं अन्य निर्माण कार्य हेतु 75 प्रतिशत धनराशि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से तथा 25 प्रतिशत धनराशि वि़द्यालय के प्रबन्ध समिति के द्वारा दी जानी है।
उन्होंने पठन-पाठन के सम्बन्ध में प्रधानाचार्यों से कहा कि आज के आधुनिक युग में शिक्षण बहुत चुनौतीपूर्ण हो गया है। आज प्रतियोगी परीक्षाओं का स्तर बहुत उन्नत हो गया है, माध्यमिक शिक्षा से ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी हमें अपने विद्यार्थियों को करानी होगी, शासन द्वारा बनाये गये विभिन्न पोर्टल की सहायता से और शिक्षक अपने अनुभव से विद्यार्थियों को भविष्य के लिए तैयार करें। हमें प्रयास करना है कि संसाधन के अभाव में किसी भी बालक की शिक्षा बाधित न हो, बल्कि उसे आधुनिक समय के सभी अवसर समान रूप से प्राप्त हों। प्रत्येक शिक्षक को तकनीकी रूप से अपडेट होने की आवश्यकता है। परम्परागत शिक्षण होने के साथ-साथ तकनीक का प्रयोग भी अनिवार्य रूप से करें।
जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ0 धर्मेन्द्र शर्मा ने कहा कि प्रधानाचार्य शिक्षण के साथ-साथ विद्यालय परिसर, शौचालय, शिक्षण-कक्ष, विद्यालय की छतों आदि की नियमित साफ-सफाई पर ध्यान दें तथा एक विद्यालय कम से कम एक खेल को विशिष्ट रूप से चिन्हित कर योजना बनायें। अपने विद्यार्थियों के कमजोर व मजबूत पक्षों की पहचान कर स्किल एजूकेशन से जोड़िये जिससे विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास हो सके। शैक्षिक पंचाग के अनुरूप विद्यालयों में शिक्षण कार्य के साथ-साथ विधिवत् रूपरेखा बनाकर सांस्कृतिक व साहित्यिक गतिविधियों का क्रियान्वयन हो। विद्यालय में पुस्तकालय, प्रयोगशालाओं आदि का भी समुचित व नियमित प्रयोग किया जाए।
समाज कल्याण अधिकारी विनित कुमार मलिक ने पूर्व दशम् एवं दशमोत्तर छात्रवृत्ति के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए नियम, निर्देशों एवं समय-सारिणी पर चर्चा करते हुए महाविद्यालयों, तकनीकी संस्थान एवं माध्यमिक विद्यालयों के प्राचार्य एवं प्रधानाचार्यों का आह्वान किया कि विद्यार्थियों में से कोई भी अर्ह विद्यार्थी छात्रवृत्ति योजना से वंचित न रहें। साथ ही विद्यार्थियों को आवेदन पत्र भरने में आने वाली कठिनाइयों का भी निवारण करते हुए उनके आवेदनों को समयान्तर्गत जिला स्तरीय समिति को अग्रसारित करने चाहिए। उन्होंने स्किल मिशन के अन्तर्गत विभिन्न शॉर्टटर्म व्यावसायिक कोर्स की भी जानकारी दी।
जनपदीय नोडल अधिकारी एवं प्रधानाचार्य डॉ0 विकास कुमार ने पंख पोर्टल, स्विफ्ट चैट, विद्यांजलि 2.0, फिट इण्डिया क्विज, यूनीलर्न आदि विभिन्न पोर्टल की विस्तारपूर्वक चर्चा करते हुए कहा कि सभी शिक्षकों को परम्परागत ज्ञान के साथ तकनीक को भी जोड़ना आवश्यक है। पंख पोर्टल की सहायता से 550 से अधिक व्यवसाय, विभिन्न छात्रवृत्तियों, आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं एवं विभिन्न विश्वविद्यालयों की जानकारी आसानी से ली जा सकती है। प्रत्येक शिक्षक को एक्सट्रा करिकुलम एक्टिविटीज को अपने शिक्षण के साथ जोड़ना होगा, जिससे विद्यार्थियों का बहुमुखी विकास होने में सहायता मिलेगी।
बैठक में जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मैत्री रस्तौगी, प्रधानाचार्य विजय कुमार शर्मा, कै0 प्रवीण चौधरी, दिनेश कुमार जैन, सुधीर त्यागी, कंचन प्रभा शुक्ला, सोहनपाल, नरेश कुमार आदि उपस्थित थे।