मुजफ्फरनगर। मुस्लिम मतदाताओं की एकजुटता ने गठबंधन प्रत्याशियों को जीत की ऊंचाई दी। सपा और रालोद ने चुनावी रण में कोई भी मुस्लिम प्रत्याशी नहीं उतारा था, इसके बावजूद मुस्लिमों ने बसपा और कांग्रेस के सजातीय उम्मीदवारों को तवज्जो नहीं दी। यही वजह है कि जिले में भाजपा को चार सीट गंवानी पड़ी।
सपा और रालोद ने रणनीति के तहत चुनाव में छह सीटों पर कोई मुस्लिम प्रत्याशी नहीं उतारा था। ऐसी स्थिति में बसपा और कांग्रेस के मुस्लिम प्रत्याशियों को यह उम्मीद बंधी थी कि अल्पसंख्यक मतदाता उनके पक्ष में वोट कर सकता है। बसपा के दलित और मुस्लिम समीकरण के भी कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन नतीजे सामने आए तो साफ हो गया कि मुस्लिमों ने गठबंधन को बंपर मतदान किया है। चरथावल सीट पर कांग्रेस से बसपा में आए सलमान सईद को केवल 25131 वोट मिले। मुस्लिमों का सईद के हक में मतदान न करना सपा के पंकज मलिक की जीत की राह आसान कर गया।
मीरापुर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व विधायक मौलाना जमील और बसपा उम्मीदवार मोहम्मद सालिम भी क्रमश: 1258 और 23797 वोट ही हासिल कर पाए। मुस्लिमों ने रालोद प्रत्याशी चंदन चौहान को ही प्राथमिकता दी। बुढ़ाना विधानसभा सीट पर बसपा के हाजी अनीस को भी सिर्फ 10397 मतों पर संतोष करना पड़ा। उधर, चरथावल से कांग्रेस की उम्मीदवार यासमीन राव को भी मुस्लिमों ने नकार दिया। उन्हें केवल 965 वोट ही मिले।
पाला बदलकर कोई जीता तो कोई हारा
कांग्रेस के टिकट पर बघरा और शामली से दो बार विधायक रहे पंकज मलिक को चुनाव से पहले सपा का दामन थामना रास आया। पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक के बेटे पंकज की गिनती कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबियों में होती थी। चरथावल सीट पर पहली बार चुनाव लड़े पंकज ने यहां से जीत दर्ज कराकर जिले की राजनीति में बड़ा कदम बना लिया है। मलिक की जीत के इसलिए भी खास मायने हैं कि क्योंकि चरथावल सीट के अंतगर्त ही केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान का गांव कुटबी आता है। मीरापुर से बसपा के विधायक रहे मौलाना जमील ने चुनाव से पहले रालोद छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन की, लेकिन जीत नहीं सके। कांग्रेस छोड़कर बसपा में आए पूर्व गृह राज्यमंत्री सईदुज्जमां के बेटे सलमान सईद का फैसला भी गलत साबित हुआ। वह चरथावल से हार गए हैं। खतौली में चुनाव हारे पूर्व मंत्री राजपाल सैनी बसपा से सपा में आए थे, लेकिन चुनाव रालोद के सिंबल पर लड़ा।