मुजफ्फरनगर। मलेरिया के खात्मे के लिए स्वास्थ्य विभाग अब गप्पी मछली का सहारा लेगा। जिले के साकेत, सिंगलपुर और सिसौना तालाबों में ‘गप्पी मछली’ छोड़ी जाएगी। मच्छर के लार्वा को यह मछली गप कर जाएगी, जिससे बीमारी पर

अक्तूबर माह आधे से अधिक बीत चुका है, लेकिन मच्छर जनित बीमारियां कम होने का नाम नहीं ले रही है। इस बार जिले में मलेरिया का प्रकोप अधिक रहा। मच्छरों के खात्मे के लिए अब स्वास्थ्य विभाग मछलियों का सहारा लेगा। इसके लिए उत्तराखंड के हरिद्वार स्थित मलेरिया रिसर्च सेंटर से 150 गप्पी मछलियां मंगाई जाएंगी।

जिला मलेरिया अधिकारी अलका सिंह का कहना है कि बदायूं और हरिद्वार रिसर्च सेंटर पर बात की गई थी। बदायूं में फिलहाल मछलियां उपलब्ध नहीं हैं, जबकि हरिद्वार सेंटर ने 150 गप्पी मछलियां देने की हामी भरी है। इन मछलियों को साकेत स्थित तालाब, चरथावल ब्लॉक के सिंगलपुर तालाब और सिसौना गांव के तालाब में छुड़वाया जाएगा। मछलियां मच्छरों के लार्वा को खत्म करेंगी, जिससे बीमारियों पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।

जिले में मलेरिया के जनवरी से अब तक 13 मरीज मिले हैं। जिला वेक्टर जनित रोग परामर्श दाता अहतिशाम खान ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की टीमें घर-घर जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं। लोगों की जागरूकता से बीमारी पर जल्दी नियंत्रण पाया जा सकता है।

डेंगू का मच्छर साफ पानी में पनपता है और दिन में काटता है। अधिकतर मामलों में यह लोगों के घरों में ही मिला है। स्वास्थ्य विभाग की टीमों को घरों के अंदर तक पहुंचना और सफाई करना सबसे मुश्किल कार्य है।

जिले के अन्य तालाबों को भी मछली का बीज डालने के लिए चिह्नित किया जाएगा। मलेरिया अधिकारी अलका सिंह ने बताया कि मछलियों से जो बीज बनेंगे, उन्हें जिले के अन्य तालाबों में छुड़वाने का काम किया जाएगा। तालाबों को चिह्नित किया जा रहा है।
a href=”https://play.google.com/store/apps/details?id=com.asbnewsindia”>