मुजफ्फरनगर। रामपुर तिराहा कांड की सुनवाई में फिर नया मोड़ आ गया है। बचाव पक्ष ने अदालत में प्रार्थना पत्र देकर कहा कि जिन फोटो से सीबीआई ने उनकी शिनाख्त पीड़िताओं के सामने कराई थी, वह उपलब्ध कराए जाएं। सीबीआई ने इस पर आपत्ति दाखिल की है। प्रार्थना पत्र के निस्तारण के लिए 24 अगस्त की तिथि तय की गई है।

शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजीव शर्मा, सहायक शासकीय अधिवक्ता फौजदारी परवेंद्र सिंह, उत्तराखंड संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा और रजनीश चौहान ने बताया कि सरकार बनाम मिलाप सिंह और राधा मोहन की पत्रावलियों की सुनवाई हुई। आरोपियों ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से प्रार्थना पत्र दाखिल किया कि सीबीआई ने जब इस मामले की विवेचना की तो फोटो से पीड़िताओं के सामने आरोपियों की पहचान कराई थी। वह फोटो दिलाए जाएं। बचाव पक्ष के इस प्रार्थना पत्र पर सीबीआई ने आपत्ति दाखिल की। अपर जिला एवं सत्र न्यायालय के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह ने प्रार्थना पत्र के निस्तारण के लिए 24 अगस्त की तिथि तय कर दी है।

एक अक्तूबर, 1994 को अलग राज्य की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे। देर रात रामपुर तिराहा पर पुलिस ने आंदोलनकारियों को रोकने का प्रयास किया। आंदोलनकारी नहीं माने तो पुलिसकर्मियों ने फायरिंग कर दी, जिसमें सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी। सीबीआई ने मामले की जांच की और पुलिस पार्टी और अधिकारियों पर मुकदमे दर्ज कराए थे।