पश्चिम बंगाल के फरक्का में गश्त के दौरान नाव से गिरकर शहीद हुए मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना निवासी अमित कुमार का गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार किया गया। बेटे की शहादत की जानकारी मिलते ही गांव खरड़ सहित पूरे गठवाला खाप में शोक छा गया। पार्थिव शरीर को फुगाना बस अड्डे से गांव में ले जाने के दौरान लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा। तीन किलोमीटर पैदल यात्रा करते हुए ग्रामीण, अधिकारी और जनप्रतिनिधि शहीद के पार्थिव शरीर को लेकर खरड़ गांव पहुंचे।

थाना फुगाना के गांव खरड़ के रहने वाले किसान चंद्रपाल का बेटा अमित कुमार बीएसएफ की रविवार को अर्द्धसैनिक बल के जवान तिरंगे में लिपटे शहीद के पार्थिव शरीर को लेकर फुगाना बस अड्डे पर पहुंचे तो पहले से ही बस अड्डे पर मौजूद भीड़ ने भारत माता की जय के नारे लगाए। हजारों की संख्या में ग्रामीण, विभिन्न दलों के नेता व अधिकारी शहीद के पार्थिव शरीर के साथ पैदल चल दिए। तीन किलोमीटर लंबी यात्रा के बाद शहीद का पार्थिव शरीर उसके परिवार में पहुंचा। शहीद की अंतिम यात्रा में जब तक सूरज चांद रहेगा, अमित तेरा नाम रहेगा का नारा गूंजता रहा। अर्द्धसैनिक बल के जवानों ने शहीद को सलामी दी। शहीद के बेटे आरव (5) ने चाचा भीम सिंह की गोद से पिता की चिता को मुखाग्नि दी तो हर आंख भर आई।

उप जिलाधिकारी अरूण कुमार, भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत, रालोद विधायक राजपाल बालियान, पूर्व विधायक उमेश मलिक, डॉ विवेक बालियान, भाकियू अराजनैतिक के प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक, ग्राम प्रधान विकास मलिक, पूर्व प्रधान नितिन मलिक, रविंद्र सिंह, विपिन व ब्रजपाल सहित सभी रिश्तेदार व ग्रामीण मौजूद रहे।

बुढ़ाना में शहीद का पार्थिव शरीर फुगाना बस अड्डे पर पहुंचा तो अपार भीड़ उमड़ पड़ी। विभिन्न वाहन व भीड़ के कारण सड़क पर दोनों ओर लंबा जाम लग गया। पुलिस को भीड़ को काबू करने के लिए काफी परेशानी उठानी पड़ी। फुगना बस अड्डे से शहीद के परिवार के घर तक ग्रामीण व नेता पैदल पहुंचे। घंटों बाद सड़क खाली होने पर जाम खुला।

शहीद अमित कुमार का छोटा भाई भीम सिंह भी बीएसएफ का जवान है। उसकी तैनाती भी पश्चिमी बंगाल में है। करवाचौथ के त्यौहार पर भीम सिंह छुट्टी आया था। 13 अक्टूबर बृहस्पतिवार को रात 10 बजें छोटे भाई भीम सिंह के डूबने की सूचना मिली थी। सूचना मिलते ही परिवार गम में डूब गया।

इस मौके पर जितेंद्र मलिक, नरेंद्र सिंह, थामसिंह, मुकेश मलिक, अमित मलिक, रजनीश मलिक, प्रवीण मलिक, चिंटू, छोटू, बिजेंद्र सिंह, राजवीर, सुधीर, देवेंद्र व रविंद्र आदि सहित सैकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे।

शहीद अमित कुमार की पत्नि बबीता, बड़ी बेटी अवनी (8) , दूसरी बेटी अंशू (6) व बेटा आरव (5) पिता की शाहदत के कारण रोते बिलखते रह गए। माता शिक्षा व पत्नि बबीता अमित के तिरंगे में लिपटे शरीर को देखकर गम के कारण गिर पड़ी।

अमित कुमार 115वीं बटालियान में कार्यरत था। अक्तूबर 2005 में वह बुलंदशहर के बाबूगढ़ से भर्ती हुआ था। पंजाब ट्रेनिंग सेंटर से उसने अपनी ट्रेनिंग पूरी की थी। वर्तमान में अमित कुमार की पश्चिमी बंगाल के फरक्का में पोस्टिंग चल रही थी। बीएसएफ के जवानों का एक दल नाव से नदी की सीमा पर चौकसी कर रहा था। अचानक नदी में पानी का तेज बहाव आने के कारण वह नाव से गिरकर पानी में बह गया। राहत कार्य के दौरान अमित को नही बचाया जा सका। जवान का शव बांग्लादेश की सीमा से बरामद हुआ। बेटे की शाहदत की सूचना से गांव खरड़ सहित पूरा गठवाला खाप शोक में डूब गया।