मुजफ्फरनगर। भारत के सातवें राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की यादें शुकतीर्थ से जुड़ी है। वीतराग स्वामी कल्याणदेव की परोपकारी भावना से वह बेहद प्रभावित थे। शुकदेव आश्रम के संग्रहालय में उनकी स्मृतियों के दस्तावेज मौजूद है।
देश के पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की 28वीं पुण्यतिथि मनाई गई। वे पंजाब के मुख्यमंत्री तथा देश के गृह मंत्री भी रहे। स्वामी कल्याणदेव के प्रति उनकी श्रद्धा और भक्ति उन्हें शुकतीर्थ ले अई। वर्ष 1984 में 15 जनवरी को वह भागवत पीठ शुकदेव आश्रम पधारे थे। उन्होंने यहां संत विनोबा भावे वृद्धा गऊ सदन का शिलान्यास किया। राष्ट्रीय एकता, जनकल्याण और देश की समृद्धि के लिए महायज्ञ की पूर्णाहुति की। कैबिनेट मंत्री विद्याभूषण, राज्यसभा सांसद रामचन्द्र विकल और दिल्ली के महापौर महेंद्र सिंह साथी की मौजूदगी में जब शिक्षा ऋषि ने ज्ञानी जी को एक बकरी भेंट की तो सब अचरज में पड़ गए। राष्ट्रपति भवन का स्टाफ बकरी को लेकर दिल्ली गया था। जन सेवा कार्यों की व्यस्तता में स्वामी जी एक बार अस्वस्थ हो गए। दिल्ली के डॉ राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल में उन्हें भर्ती कराया गया तो राष्ट्रपति संत का कुशलक्षेम जानने पहुंचे थे।
मोरना। भागवत पीठ शुकदेव आश्रम के पीठाधीश्वर स्वामी ओमानंद बताते है कि वर्ष 1983 में पूज्य गुरुदेव के साथ राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह से दिल्ली में भेंट हुई थी। उन्हें पता चला कि रोडवेज बस में सफर कर स्वामी कल्याणदेव शुकतीर्थ से मिलने आए है तो ज्ञानी जी उनकी सादगी, सरलता और त्याग से प्रेरित हो गए थे। ज्ञानी जी देशभक्त थे, वे शहीद उधम सिंह के अवशेष, गुरु गोविंद सिंह से संबंधित लिखी सामग्री लंदन से वापस लाए थे।
मोरना। शुकदेव आश्रम स्वामी कल्याणदेव सेवा ट्रस्ट के सचिव डॉ. देवराज पंवार बताते है कि पूर्व पीएम गुलजारी लाल नंदा की स्मृति में स्थापित नंदा फाउंडेशन अध्यक्ष के रुप में पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने वर्ष 1993 में प्रथम नंदा नैतिक पुरस्कार के लिए स्वामी कल्याणदेव को चुना। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने ये सम्मान संत विभूति को प्रदान किया था। ज्ञानी जी ने कहा था कि स्वामी जैसे संत सनातन संस्कृति को जीवित रखे है।