प्रयागराज. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने न्यायिक मजिस्ट्रेट की पत्नी की तरफ से वकील के खिलाफ घूस की पेशकश करने व धमकाने की एफआइआर की जांच सीबीआइ से कराने से इंकार कर दिया है। साथ ही एसएसपी मुजफ्फरनगर को पुलिस विवेचना की मानिटरिंग कर निष्पक्ष जांच सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने मजिस्ट्रेट को भी दोषी करार देते हुए उनकी पत्नी द्वारा दर्ज कराई गई एफआइआर को रद करने या सीबीआइ की जांच की मांग में हाई कोर्ट आने वाले आरोपी अधिवक्ता याची के खिलाफ उप्र बार काउंसिल को कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र तथा न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की खंडपीठ ने अमित कुमार जैन की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।

कोर्ट ने कहा कि जो तथ्य सामने है, परेशान करने वाला है। न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष केस लंबित है। मजिस्ट्रेट की पत्नी ने सुरक्षा की गुहार लगाते हुए अपने पक्ष में आदेश के लिए अधिवक्ता पर घूस की पेशकश करने और परिवार को धमकाने का आरोप लगाया है। रिपोर्ट में कई बार धमकी देने का आरोप है। आरोपी ने फोन रिकॉर्डिंग का सहारा लेकर पेशकश स्वीकार कर ली है किन्तु मजिस्ट्रेट को भी उतना ही दोषी करार देते हुए निष्पक्ष जांच की मांग में याचिका दाखिल की है। एफआइआर की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं।

हाईकोर्ट ने कहा कि न्याय व्यवस्था कानून के शासन व विश्वसनीयता पर टिकी है। लोगों का न्यायिक सिस्टम पर भरोसा है। यदि आरोप सही है तो आम लोगों का न्याय प्रक्रिया से विश्वास उठ जाएगा। आरोपों की निष्पक्ष जांच हो।इसे हल्के में न लें। कोर्ट ने कहा-आरोपी वकील हैं।आफीसर आफ कोर्ट है। न्यायिक अधिकारी को घूस का प्रस्ताव दिया है।ऐसे में उसे राहत नहीं दी जा सकती। दुराचार का मामला अदालत में लंबित है। घूस का आरोप न्यायिक अधिकारी पर है।एस एस पी निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करें। कोर्ट ने सी बी आई को जांच सौंपने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है।