मुजफ्फरनगर। नगरपालिका परिषद में विभागीय अफसरों और कर्मचारियों ने आपसी मिलीभगत से पालिका के खजाने को खाली करने की होड़ लगा रखी है। अभी एक मुकदमे में मजबूत पैरवी नहीं करने से पालिका से छह लाख रुपये की रिकवरी का मामला सामने आया था, चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल की सतर्कता के कारण 34 लाख रुपये का पालिका को चपत लगाने की साजिश का दूसरा मामला पकड़ा गया है। चेयरपर्सन ने ईओ से कड़ी नाराजगी जताई है।
नगरपालिका परिषद में फर्जी मामले बनाकर अदालतों के जरिये एक पक्षीय आदेश पारित होने पर पालिका से लाखों रुपये की रिकवरी कराने का खेल चल रहा है। इस घपले में पालिका के अफसर और कर्मचारियों की कार्यप्रणाली भी संदिग्ध बनी हुई है। पिछले दिनों ही चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ने तीन माह पालिका में संविदा कर्मी के रूप में नौकरी करने वाले अनिल कुमार धीमान का मामला पकड़ा। अनिल धीमान ने श्रम न्यायालय सहारनपुर में पालिका प्रशासन के खिलाफ वाद दायर करते हुए छह लाख रुपये की रिकवरी जारी कराई और भुगतान भी पा लिया। इसके बाद अनिल धीमान ने 21 लाख का नया दावा पालिका प्रशासन के खिलाफ ठोक दिया है। लाखों की बंदरबांट के इस गोलमाल का खुलासा करने के बाद अब चेयरपर्सन अंजू अग्रवाल ने भ्रष्टाचार का नया मामला पकड़ा है।
पालिकाध्यक्ष ने ईओ हेमराज सिंह को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा कि जनपद के एक न्यायालय में पालिका स्तर से एक वाद के मामले में समुचित पैरवी के अभाव में पालिका प्रशासन पर 34 लाख की रिकवरी का दबाव बन गया है। यह वाद पालिका के स्वास्थ्य विभाग में फर्जी आंकड़ों के आधार पर सफाई कार्य और चूना आदि की आपूर्ति के लिए किया गया है। इसमें परमेश कुमार ने पालिका के खिलाफ 34 लाख की रिकवरी का आदेश पारित करा लिया है। अंजू अग्रवाल ने बताया कि वादी परमेश कुमार की मृत्यु भी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है और अनिल धीमान के मामले में दिये गये आदेशों पर भी कोई कदम नहीं उठाया गया है। उन्होंने ईओ के प्रति भी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने 34 लाख की रिकवरी के मामले में ईओ से वाद सहायक एवं स्वास्थ्य विभाग के अध्यक्ष नगर स्वास्थ्य अधिकारी से तीन दिनों में स्पष्टीकरण लेने को कहा है। पालिकाध्यक्ष ने ईओ से इस मामले में मूल पत्रावली भी तलब की है और साथ ही उन्होंने इस मामले में पालिका से कब – कब पैरवी की गई ? मृत व्यक्ति द्वारा न्यायालय से पालिका के खिलाफ कैसे आदेश पारित कराया गया? किस कर्मचारी की आख्या पर कौन पैनल अधिवक्ता नियुक्त किया? कितना भुगतान किया गया? यदि 34 लाख की रिकवरी होती है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? आदि प्रश्नों का जवाब भी मांगा है।
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