भारत के लिए जी-20 की अध्यक्षता एक ऐतिहासिक पल है. इस वैश्विक संगठन की अध्यक्षता संभालकर भारत कई वैश्विक मुद्दों को सुलझाने में मदद कर रहा है. फिर चाहे वह बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) में सुधार हो, जी20 में अफ्रीकी यूनियन को शामिल करना हो या फिर क्लाइमेट चेंज पर फोकस. इस साल जी20 की अगुवाई कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सफलतापूर्वक यह सुनिश्चित किया है कि भारत ‘ग्लोबल साउथ’ की समस्याओं के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए.
आगामी 9 और 10 सितंबर को दिल्ली में जी20 नेताओं के शिखर सम्मेलन से पहले पीएम मोदी ने बिजनेस टुडे के साथ 40 मिनट की एक्सक्लूसिव बातचीत की. इस इंटरव्यू में पीएम मोदी ने भारत के समक्ष उन अवसरों पर बात की, जिनसे उन्हें वैश्विक मुद्दों को सुलझाने में मदद मिली. किस तरह से देश का डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर दुनिया के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है. भारत में मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की क्षमता समेत कई और मुद्दों पर पीएम मोदी ने खुलकर बात की. पढ़ें पीएम मोदी से किए गए सवाल और उनके जवाबः-
सवाल: भारत को जी20 की अध्यक्षता ऐसे समय में मिली है जब अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियां भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास क्षमता को लेकर उत्साहित हैं. आपके हिसाब से जी20 शिखर सम्मेलन एक उभरती आर्थिक शक्ति और वैश्विक आर्थिक मंचों पर एक विश्वसनीय आवाज के रूप में भारत की छवि को मजबूत करने में कैसे मदद करेगा?
पीएम मोदी: मुझे नहीं लगता कि किसी शिखर सम्मेलन के माध्यम से किसी देश की छवि और उसकी ब्रांडिंग को बढ़ावा दिया जा सकता है. फाइनेंशियल वर्ल्ड ठोस तथ्यों पर काम करता है. वो परफॉर्मेंस पर काम करता है, न कि धारणा पर. चाहे वह वो तरीका हो जिससे भारत ने कोविड-19 महामारी से लड़ाई लड़ी और अन्य देशों को ऐसा करने में मदद की, या जिस तरह से हमने अपनी अर्थव्यवस्था को सबसे तेजी से बढ़ने वाली बनाने के लिए प्रबंधित किया, या जिस तरह से हमारी वित्तीय और बैंकिंग प्रणाली लगातार मजबूत होती जा रही है, आज दुनिया भारत की प्रगति से परिचित है. इसलिए, किसी शिखर सम्मेलन को छवि निर्माण के चश्मे से देखना भारत की विकास गाथा को कमजोर करना है.