नई दिल्ली। Global Ayush Investment and Innovation Summit: पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने गुजरात दौरे के तीसरे दिन आज गांधीनगर में वैश्विक आयुष निवेश और नवाचार शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया. इस मौके पर, मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनाथ, WHO के डीजी डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेसियस और गुजरात के CM भूपेंद्र पटेल भी मौजूद थे. उद्घाटन के बाद पीएम मोदी ने अपना संबोधन दिया.
आयुष स्टार्ट-अप्स से उभरेंगे यूनिकॉर्न: PM मोदी
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, ‘आयुष के क्षेत्र में निवेश और नवाचार की संभावनाएं असीमित हैं. आयुष दवाओं, सप्लीमेंट और कॉस्मेटिक्स के उत्पादन में हम पहले ही अभूतपूर्व तेजी देख रहे हैं. साल 2014 में जहां आयुष सेक्टर 3 बिलियन डॉलर से भी कम था. आज ये बढ़कर 18 बिलियन डॉलर के भी पार हो गया है. इस साल अब तक 14 स्टार्टअप यूनिकॉर्न क्लब से जुड़ चुके हैं. मुझे विश्वास है कि यूनिकॉर्न जल्द ही आयुष स्टार्ट-अप्स से उभरेंगे.’
‘किसानों को सुविधा मिले’
पीएम मोदी ने कहा कि यह बहुत जरूरी है कि औषधीय पौधे उगाने में लगे किसानों को बाजार से आसानी से जुड़ने की सुविधा मिले. इसके लिए सरकार आयुष ई-मार्केटप्लेस के आधुनिकीकरण और विस्तार पर भी काम कर रही है. हम एक विशेष आयुष चिह्न बनाने जा रहे हैं. यह चिह्न भारत में बने उच्चतम गुणवत्ता वाले आयुष उत्पादों पर लागू होगा. इस बीच खबर है कि भारत सरकार पारंपरिक उपचार पद्धतियों के लिए देश आने वाले लोगों के लिए जल्द आयुष वीजा जारी करेगा.
पारंपरिक चिकित्सा में नवाचार के लिए सरकारी मदद की जरूरत: टेड्रोस
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ टेड्रोस घेब्रेयसस ने बुधवार को कहा कि पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए सरकारी समर्थन के साथ दीर्घकालिक रणनीतिक निवेश भी काफी महत्वपूर्ण है.
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक ने महात्मा मंदिर में तीन दिवसीय वैश्विक आयुष निवेश एवं नवाचार शिखर सम्मेलन के
उद्घाटन समारोह में यह बात कही. उन्होंने कहा, ‘सामान्य और विशेष रूप से पारंपरिक चिकित्सा में दवा के लिए नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करने के लिए आवश्यक सरकारी प्रतिबद्धता के साथ दीर्घकालिक रणनीतिक निवेश भी जरूरी है.’
सम्मेलन में हिस्सा लेना गर्व की बात: मॉरीशस के पीएम प्रविंद जुगनाथ
मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनाथ ने कहा कि आयुष निवेश और नवाचार शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेना मेरे लिए गर्व की बात है. WHO के मुताबिक विश्व में 80 प्रतिशत लोग पारंपरिक औषधि का इस्तेमाल करते हैं. इस औषधि के ज्ञान का सम्मान ही नहीं करना चाहिए बल्कि उसे बचाना और उसको बढ़ावा भी देना चाहिए.