नई दिल्ली. दक्षिण अफ्रीका ने पहले वनडे मैच में भारत को 31 रनों से हराकर 3 मैचों की वनडे सीरीज में 1-0 की बढ़त हासिल कर ली है. इस वनडे सीरीज में टीम इंडिया की कप्तानी केएल राहुल के हाथों में है. केएल राहुल को विराट कोहली के टेस्ट कप्तानी छोड़ने के बाद अगले कप्तान बनने का दावेदार माना जा रहा है, लेकिन साउथ अफ्रीका के खिलाफ पहले वनडे मैच में केएल राहुल की कप्तानी बुरी तरह फ्लॉप नजर आई. केएल राहुल बल्ले से भी फ्लॉप नजर आए और सिर्फ 12 रन बनाकर नॉन रेगुलर बॉलर एडेन मार्करम की गेंद पर आउट हो गए.

कप्तानी में केएल राहुल ‘बच्चे’ साबित हुए हैं और ये बात उनके परमानेंट कप्तान बनने के रास्ते में रोड़ा बन सकती है. एक समय भारत ने इस मैच में साउथ अफ्रीका पर अपना शिकंजा कस लिया था, लेकिन केएल राहुल की सुस्त कप्तानी ने सारे किए कराए पर पानी फेर दिया. 68 रनों पर 3 विकेट गिरने के बावजूद साउथ अफ्रीका ने भारत के खिलाफ 296 रनों का बड़ा स्कोर खड़ा कर दिया.

68 रनों पर 3 विकेट गिरने के बावजूद टीम इंडिया साउथ अफ्रीका के बल्लेबाजों पर दबाव नहीं बना पाई. साउथ अफ्रीका के कप्तान टेम्बा बावूमा (110 रन) और रासी वान डर डुसैन (नाबाद 129 रन) के बीच चौथे विकेट के लिए 204 रनों की पार्टनरशिप हो गई. कप्तान केएल राहुल अपने गेंदबाजों का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाए और बीच के ओवरों में विकेट नहीं चटका सके. साउथ अफ्रीका की ये चौथे विकेट की पार्टनरशिप पनपकर टीम इंडिया की हार का कारण भी साबित हुई.

वेंकटेश अय्यर को भारतीय टीम में हार्दिक पांड्या के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है. पहले वनडे मैच के दौरान भुवनेश्वर कुमार, शार्दुल ठाकुर, युजवेंद्र चहल जैसे गेंदबाज विकेट नहीं ले पा रहे थे. सभी को उम्मीद थी कि डेब्यू करने वाले वेंकटेश अय्यर गेंदबाजी करते नजर आएंगे. लेकिन वेंकटेश अय्यर को प्लेइंग इलेवन में जगह देने वाले कप्तान केएल राहुल ने उन्हें गेंदबाजी करने का मौका ही नहीं दिया. ऐसे में केएल राहुल के इस फैसले से भी सभी क्रिकेट पंडित और दिग्गज हैरान हैं. सवाल है कि वेंकटेश अय्यर ऑलराउंडर के तौर पर खेल रहे थे या बल्लेबाज के तौर पर. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जब बाकी गेंदबाज सफल नहीं हो रहे थे तो उनसे गेंदबाजी कराई जा सकती थी. जो साउथ अफ्रीकी पिचों पर मददगार भी साबित हो सकती थी.