मुजफ्फरनगर। मीरापुर विधानसभा के टिकट के लिए राजनीतिक दलों को माथापच्ची करनी पड़ रही है। भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते अवतार भड़ाना फिर लौटकर नहीं आए। इस बार भाजपा बाहरी प्रत्याशी का खतरा लेने के मूड में नहीं है। जाट और गुर्जर दावेदारों की लंबी फेहरिस्त ने मुश्किलें बढ़ा दी है। सपा-रालोद गठबंधन भी मुस्लिम और गुर्जर में जिताऊ विकल्प पर सहमति बनाने में जुटा है।
परिसीमन के बाद 2012 में मीरापुर विधानसभा बनाई गई थी। दलित-मुस्लिम समीकरण की बदौलत 2012 में बसपा से मौलाना जमील जीत गए थे। 2017 में भाजपा की लहर के बावजूद यहां सपा के लियाकत अली ने भड़ाना को कड़ी टक्कर दी थी। अवतार भड़ाना विधायक तो बन गए, लेकिन मंत्री नहीं बनाए जाने के बाद से वह क्षेत्र में सक्रिय नहीं रहे। यही वजह है कि भाजपा के लिए मीरापुर में हालात आसान नहीं है। जाट और गुर्जर दावेदारों ने शीर्ष नेतृत्व के सामने अपना-अपना गणित रखा है। सिर्फ भाजपा ही नहीं, बल्कि सपा-रालोद गठबंधन भी मीरापुर के टिकट को लेकर पशोपेश में है। यह लगभग तय है कि गठबंधन रालोद के सिंबल पर चुनाव लड़ेगा, लेकिन प्रत्याशी मुस्लिम होगा या गुर्जर इस पर फैसला नहीं हो सका है। बसपा यहां से मुस्लिम प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतार सकती है, जबकि कांग्रेस ने भी अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं की है।
2017 में भड़ाना के सामने अड़े थे लियाकत
अवतार सिंह भड़ाना भाजपा 69035
लियाकत अली सपा 68842
नवाजिश आलम बसपा 39689
मिथलेश पाल रालोद 22751
2012 में जमील से हार गई थी मिथलेश
प्रत्याशी पार्टी वोट
जमील अहमद बसपा 56802
मिथलेश पाल रालोद 44069
डॉ. वीरपाल निर्वाल भाजपा 25689
मेराजुद्दीन सपा 21083
बिल्लू जय सिंह पीस पार्टी 13650
जाट कोटे से निर्वाल जिला पंचायत अध्यक्ष
भाजपा में जाट और गुर्जर दावेदारों के बीच मुकाबला चल रहा है। लेकिन भोपा के रहने वाले भाजपा नेता डॉ. वीरपाल निर्वाल जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। ऐसे में यहां से भाजपा गुर्जर प्रत्याशी को तवज्जो दे सकती है। जिले में अन्य सीट पर गुर्जर प्रत्याशी नहीं है। निर्वाल को परिसीमन से पहले भाजपा ने मोरना सीट से 2002 और इसके बाद मीरापुर सीट से 2012 में चुनाव भी लड़ाया था।
मीरापुर सीट से चुनाव लड़कर डाल बदलने वालों की भी लंबी सूची है। पूर्व विधायक मिथलेश पाल रालोद के टिकट पर यहां से दो बार चुनाव लड़ी, लेकिन वर्तमान में वह सपा में सक्रिय है। पूर्व विधायक मौलाना जमील कासमी बसपा छोड़कर रालोद में पहुंच गए। बसपा के टिकट पर यहां से चुनाव लड़े नवाजिश आलम भी वर्तमान में रालोद में है। पूर्व सांसद कादिर राना भी परिसीमन से पहले रालोद के टिकट पर मोरना से विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन वर्तमान में वह सपा में है।
2012 के परिसीमन में मीरापुर सीट बनीं, इससे पहले मोरना को विधानसभा का दर्जा हासिल था। 1991 में भाजपा के रामपाल सिंह विधायक चुने गए थे। इसके बाद भाजपा को जीत हासिल करने में 26 साल लग गए। 2017 में भड़ाना जीते थे।
मोरना से स्वर्गीय पूर्व सांसद संजय सिंह, पूर्व सांसद अमीर आलम खां (1989), पूर्व मंत्री सईदुज्जमां भी विधायक रहे हैं। मोरना रालोद के सुरक्षित किलों में से एक रही है।