इसके लिए आपको डीमैट अकाउंट खुलवाना होगा. वो आप अपने बैंक या फिर किसी ब्रोकर्स के पास खुलवा सकते है. आईपीआई खुलने के बाद उसमें अप्लाई किया जाता है. इसके बाद शेयर अलॉट होते है. ऐसा जरूरी नहीं कि आपको शेयर मिल ही जाएं. क्योंकि ज्यादा लोंगे के अप्लाई करने पर इसे लॉटरी बेसिस पर तय किया जाता है.

इसके बाद आईपीओ की लिस्टिंग की तारीख आती है और लिस्टिंग वाले दिन अगर शेयर अपने इश्यू प्राइस यानी जिस दाम पर आपको शेयर मिले है. उससे ऊपर लिस्ट होता है तो आपको मुनाफा होता है. अगर इश्यू प्राइस से दाम नीचे चला जाता है तो आपको शेयर बेचने पर नुकसान होता है.

आईपीओ में निवेश करने से पहले कंपनी और सेक्टर के पिछले कुछ सालों के प्रदर्शन की जांच-परख करना जरूरी है. कंपनी द्वारा जारी किए आंकड़ों से ही फैसला न लें. देखें कि दूसरी कंपनियों के मुकाबले कंपनी का प्रदर्शन कैसा रहा है.

एएसबीए के जरिए भी पैसा लगाया जाता है. एसबीआई की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, जब कोई आईपीओ में पैसा लगाता है. तो वो रकम बैंक के इसी खाते में जमा रहती है. अगर आईपीओ के शेयर मिल जाते हैं तो वो रकम काट ली जाती है.

एएसबीए के माध्यम से आवेदन करने के लिए एसबीआई में डीमैट अकाउंट का होना जरूरी नहीं है. अन्य संस्थाओं के साथ डीमैट खाता रखने वाले ग्राहक एसबीआई- एएसबीए सुविधा के माध्यम से भी आवेदन कर सकते हैं. एएसबीए के माध्यम से आवेदन करने के लिए एसबीआई में डीमैट अकाउंट का होना जरूरी नहीं है.
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