मेरठ. लांस नायक हनुमनथप्पा को सियाचिन ग्लैसियर में हिमस्खलन में छह दिन बाद निकाला जा सका था। फरवरी में अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर में हिमस्खलन में सात जवान फंस गए थे। ऐसी ही घटनाओं से प्रेरित होकर मेरठ के सुमित कुमार ने एक स्मार्ट जूता बनाया है जो हिमस्खलन में फंसे जवानों की लोकेशन की जानकारी कंट्रोल रूम तक पहुंचाएगा। एमआइईटी इंजीनियरिंग कालेज के अटल कम्यूनिटी इनोवेशन सेंटर में बीटेक इलेक्ट्रिकल की पढ़ाई कर रहे सुमित इस प्रेसर सेंसर ट्रांसमीटर तकनीकी से सुसज्जित स्मार्ट जूते को जवानों की सुरक्षा को समर्पित करना चाहते हैं।
सुमित का स्मार्ट जूता दो हिस्सों में बना है। एक ट्रांसमीटर सेंसर जूते के सोल में लगा है। दूसरा रिसीवर अलार्म सिस्टम जो स्मार्ट जूते के ट्रांसमीटर सेंसर से जुड़ा है। यह सेना के कंट्रोल रूम में होगा। फिलहाल इसका रेंज 100 मीटर है। भूस्खलन या हिमस्खलन की स्थिति में जूते का सेंसर दबाव से एक्टिव हो जाता है। जूसे के सेंसर से सिग्नल मिलते ही कंट्रोल रूम में अलार्म बजने लगता है। बचाव दल को जवान के दबे होने के स्थान का पता चल जाता है। एक अन्य छोटे रिसीवर को मौके पर लेकर जाने से नजदीक पहुंचने पर अलार्म तेज होता जाएगा जिससे जवान को बाहर निकालने की प्रक्रिया जल्द शुरू हो सकेगी।
खिर्वा जलालपुर निवासी सुमित के पिता प्रीतम कंकरखेड़ा शिवचौक से राजमिस्त्री के साथ मजदूरी करने जाते हैं। 2021 में सेंट चार्ल्स इंटर कालेज सरधना से 12वीं करने के बाद एमआइईटी में पढ़ने का मौका मिला तो नवाचारों के पंख फड़फाड़ाने लगे। सुमित ने बताया कि उपकरण को और विकसित करने पर इसे और छोटा बनाया जा सकता है जिसकी रेंज जरूरत के अनुरूप बढ़ाई जा सकेगी। इसमें अच्छी किस्म का जूता, रेडिया ट्रोसमीटर रिसीवर, चार्जेबल बैट्री, तीन वोल्ट हैंड रोटेड चार्जिंग, अलार्म और प्रेसर सेंसर लगे हैं। इसे बनाने में करीब 16 हजार रुपये का खर्च आया है।
कालेज के कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर में किसी भी कालेज के छात्र इनोवेशन आइडिया पर काम कर सकते हैं। ऐसे छात्रों के आइडिया पर आगे बढ़ने में प्रबंधन की ओर से पूरी मदद की जाती है।