गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन की अगुवाई कर रहे राकेश टिकैत ने कहा कि अगर सरकार को कोई बातचीत करनी है तो वो बात कर सकते हैं। यह बातचीत अगर शुरू में ही हो गई होती तो इतने किसानों की मृत्यु नहीं होती। टिकैत ने कहा कि संसद में तीन कानूनों को निरस्त करने और फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी दिए जाने के बाद ही किसान आंदोलन वापस लिया जाएगा।
कृषि कानून के बाद CAA-NRC कानून भी होंगे वापस? मोदी के मंत्री ने कही ये बात
वहीं, किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा कि आंदोलन अभी जारी रहेगा। हमें 22 तारीख को लखनऊ की रैली को कामयाब करना है। अगर लखीमपुर खीरी में हमारे साथियों को परेशान करने की कोशिश की जाती है तो फिर हम लखीमपुर खीरी इलाके में आंदोलन चलाएंगे। आज की बैठक में फैसला लिया गया कि हमारे 22, 26 और 29 नवंबर को जो कार्यक्रम होने वाले हैं वो जारी रहेंगे। 22 को लखनऊ रैली के बाद 26 को पूरे देश में किसान आंदोलन के एक साल पूरे होने पर जश्न मनाया जाएगा और 29 को ट्रैक्टर मार्च (संसद तक) होगा।
दिल्ली में फिर से दौड़ सकेंगी 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियां, बस करना ये होगा एक काम
फिर दौड़ से सकेंगी 10 साल पुरानी डीजल गाड़ियां, बस करना होगा ये एक काम
कृषि कानून के बाद CAA-NRC कानून भी होंगे वापस? मोदी के मंत्री ने कही ये बात
कृषि कानून के बाद CAA कानून भी होगा वापस? मोदी के मंत्री ने कही ये बात
MSP के लिए कानून बने और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा पर सख्त कार्रवाई हो, वरुण गांधी ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
लखीमपुर हिंसा काला धब्बा, वरुण ने PM को चिट्ठी लिख क्या-क्या कहा?
सिंघु बॉर्डर पर मौजूद किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए बोला है तो वो इसको कब तक वापस लेंगे इसके बारे में कुछ ठोस नहीं है। MSP पर अभी कोई ठोस बात नहीं हुई है और जो मामले किसानों पर दर्ज हुए हैं, उनको भी वापस लेना चाहिए। बता दें कि, 26 जनवरी को राजधानी में किसानों की ट्रैक्टर रैली ने हिंसक रूप ले लिया था। इस दौरान बेकाबू भीड़ लालकिले में घुस गई थी और वहां प्राचीर पर एक धार्मिक ध्वज फहरा दिया था।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गुरु पर्व के अवसर पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने की अचानक घोषणा करने के साथ ही इन कानूनों के फायदे किसानों को नहीं समझा पाने के लिए जनता से माफी मांगी। प्रधानमंत्री ने कहा था कि तीनों कृषि कानून किसानों के फायदे के लिए थे, लेकिन हमारे सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद हम किसानों के एक वर्ग को मना नहीं पाए। उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों का लक्ष्य किसानों, खासकर छोटे किसानों को सशक्त बनाना था।
</a