मेरठ। वेस्ट यूपी समेत मेरठ में पशुओं में लंपी वायरस के लक्षण मिल रहे हैं। दौराला, गंगानगर, सरधना समेत जिले के कई इलाकों में ऐसे केस सामने आ रहे हैं। वायरस को लेकर पशु पालकों में हड़कंप है। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. अखिलेश गर्ग का कहना है कि तीन सैंपल जांच को भेजे गए हैं। बीमारी के प्रकोप को देखते हुए शासन से पशुपालन निदेशक के नेतृत्व में टीम मेरठ पहुंच गई है। टीम ने शनिवार को सरधना में निरीक्षण भी किया।

दौराला के कई गांवों में मिले हल्के लक्षण
दौराला क्षेत्र में पशुओं में लंपी वायरस के लक्षण दिख रहे हैं। दौराला पशु चिकित्सालय के कार्यवाहक प्रभारी डॉ. शरद शर्मा ने बताया कि सुरानी, मटौर के अलावा अन्य कई गांव में पशुपालकों के घर गाय में लंपी वायरस के हल्के लक्षण मिले हैं। इनका उपचार किया जा रहा है। इसका अभी कोई टीका नहीं बना है। ऐसे में लक्षण मिलते ही पशु को उपचार दिलाने के साथ अन्य पशुओं से अलग कर देना चाहिए। दिन में कई बार फिटकरी के पानी से पशु को नहलाने के साथ उसे काली मिर्च का सेवन कराना चाहिए।

मवाना में पशुपालन विभाग अलर्ट, आज से चलेगा अभियान
लंपी वायरस का मवाना क्षेत्र में अभी तक कोई केस नहीं है लेकिन पशुपालन विभाग अलर्ट मोड में है। विभाग इस वायरस से ग्रसित पशुओं की तलाश में आज से अभियान चलाएगा। मवाना-फलावदा क्षेत्र के पशु चिकित्सक डॉ. इंद्रजीत सिंह कहते हैं कि यदि किसी पशु को तेज बुखार आता है तो तत्काल पशुपालन विभाग के डॉक्टर को बताएं। इस बीमारी से ग्रसित पशु को आठ दिनों में दवा से ठीक किया जा सकता है।

फलावदा क्षेत्र के मौजीपुरा गांव में भी कई पशुओं में लंपी वायरस के लक्षण देखने को मिल रहे हैं। किसान मदन सिंह ने बताया कि उनकी गाय पिछले 15 दिन से बीमार है। उसके शरीर पर गांठ के निशान हैं। कई दिन से उसका बुखार नहीं उतर रहा। काफी इलाज करा चुके हैं, मगर गाय ठीक नहीं हो रही। गांव में अन्य पशुपालकों की गाय भी बीमार से है, जिससे हड़कंप मचा हुआ है।

मेरठ पहुंची टीम, सरधना में किया निरीक्षण
लंपी वायरस को लेकर पशुपालन विभाग सतर्क हो गया है। शासन से पशुपालन निदेशक डा. इंद्रमणि चौधरी के नेतृत्व में एक टीम मेरठ पहुंच गई। टीम में अपर निदेशक पशुपालन डॉ. ब्रजवीर सिंह, डॉ. बीके सिंह, सीवीओ अखिलेश गर्ग आदि शामिल हैं। शनिवार को डॉ. इंद्रमणि सिंह ने सरधना क्षेत्र स्थित गोशाला का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने खंड विकास अधिकारी तथा पंचायत सचिव को निर्देश दिया कि गोवंश को समय से चारा पानी के साथ पौष्टिक आहार दें। उन्होंने पशु चिकित्सक से वैक्सीन, कैशबुक, उपस्थित पंजिका, वाह्य रोगी पंजिका, दवा की उपलब्धता आदि के बारे में भी जानकारी की।

जानवरों में कैसे फैलता है संक्रमण
लंपी एक वायरल डिजीज है, जो पशुओं को प्रभावित करती है। आमतौर पर यह खून चूसने वाले कीड़ों, मच्छर की कुछ प्रजातियों और पशुओं के कीड़े के काटने से फैलती है। यह बीमारी संक्रमित पशु से दूसरे पशुओं में तेजी से फैल जाती है। इसकी चपेट में आने वाले पशुओं को बुखार आता है और स्किन पर जगह-जगह निशान बन जाते हैं। गंभीर स्थिति होने पर पशु मर जाते हैं।

देशी उपचार कारगर
रजपुरा पशु चिकित्सालय के डॉ. प्रताप सिंह ने बताया कि इस बीमारी में देसी इलाज बेहद कारगर है। वह बताते हैं कि सौ ग्राम देशी घी में दो चम्मच हल्दी और एक चम्मच काली मिर्च मिलाकर सोल्यूशन बना लें। इसके बाद उसे दो भाग में बांटकर सुबह-शाम आधा-आधा गाय को खिलाएं। इसके अलावा खून शुद्ध करने के लिए नीम के पत्ते भी खिला सकते हैं। नीम के पत्तों को उबालकर उसे गाय के शरीर पर छिड़कें।

संक्रमण से बचाव के उपाय
– अपने जानवरों को संक्रमित पशुओं से अलग रखना चाहिए।
– रोग के लक्षण दिखने वाले पशुओं को नहीं खरीदना चाहिए।
– मेला, मंडी और प्रदर्शनी में पशुओं को नहीं ले जाना चाहिए।
– गोशाला में कीटों की संख्या पर काबू करने के उपाय करने चाहिए।
– मुख्य रूप से मच्छर, मक्खी, पिस्सू और चिंचडी का उचित प्रबंध करना चाहिए।
– रोगी पशुओं की जांच और इलाज में उपयोग हुए सामान को खुले में नहीं फेंकना चाहिए।
– अगर गोशाला या उसके आसपास किसी असाधारण लक्षण वाले पशु को देखते हैं तो तुरंत नजदीकी पशु अस्पताल में इसकी जानकारी दें।
-एक पशुशाला के श्रमिक को दूसरे पशुशाला में नहीं जाना चाहिए।
– पशुपालकों को भी अपने शरीर की साफ-सफाई पर ध्यान देना चाहिए।