कानपुर। मनीष गुप्ता हत्याकांड की जांच कर रही एसआईटी ने बुधवार को मृतक की पत्नी और दोस्तों के बयान दर्ज किए। पुलिस कमिश्नर, डीसीपी साउथ के सामने सभी के बयान मीनाक्षी के घर पर हुए। तकरीबन सात घंटे तक एसआईटी ने बयान लिए। मीनाक्षी ने अपने बयानों में सीधे बोला, मेरे पति को पुलिसवालों ने मार दिया। केस रफादफा करने के लिए अफसरों ने दबाव बनाया और होटल प्रशासन ने हत्या के साक्ष्य मिटाए। वारदात को साजिश रचकर अंजाम दिया गया है।
एसआईटी में डीसीपी साउथ रवीना त्यागी सदस्य हैं। वह बुधवार सुबह करीब 11 बजे मीनाक्षी के घर पहुंचीं। सबसे पहले मीनाक्षी के बयान दर्ज किए। करीब पांच घंटे तक उन्होंने मीनाक्षी से बातचीत की और उनके बयान लिखित में दर्ज किए। मीनाक्षी ने बताया कि 26 सितंबर की शाम को मनीष के दोनों दोस्त हरवीर सिंह व प्रदीप कानपुर आए। यहां से मनीष उनके साथ गोरखपुर गए थे।
27 सितंबर की देर रात को मनीष के लखनऊ निवासी भांजे दुर्गेश ने मीनाक्षी को फोन कर मामले की जानकारी दी। मीनाक्षी के मुताबिक वह कानपुर से गोरखपुर के लिए रवाना हुईं। गोरखपुर पुलिस बिल्कुल भी साथ नहीं दे रही थी। वह अभद्रता कर रही थी।
ऐसा महसूस हो रहा था कि जैसे मैंने और मेरे पति ने कोई अपराध कर दिया हो। मीनाक्षी ने कहा कि जब वह होटल पहुंची तो कमरा साफ किया जा चुका था। होटल प्रशासन ने साक्ष्य मिटाए। होटल प्रशासन को भी आरोपी बनाया जाए।
मीनाक्षी ने बताया कि गोरखपुर पुलिस एफआईआर दर्ज करने को तैयार नहीं हो रही थी। बीआरडी मेडिकल कॉलेज पुलिस चौकी में उनको व उनके परिवार वालों को बैठाया गया। एसएसपी और डीएम ने उनको वहां समझाया कि केस करने में कोई फायदा नहीं है। जब वह धरने पर बैठ गईं तब वह केस दर्ज करने को राजी हुए लेकिन छह पुलिस वालों को नामजद करने को तैयार नहीं हुए। उनका कहना था कि पुलिस वालों के भी परिवार हैं। बाद में तहरीर बदलवाई और तब तीन को नामजद कर केस दर्ज किया। वायरल वीडियो की मीनाक्षी ने पुष्टि की।
मीनाक्षी ने कहा कि गोरखपुर पुलिस का रवैया बेहद खराब था। इसलिए मैं खुद होटल, अस्पताल गई। वहां जो साक्ष्य थे उनका वीडियो बनाया। चश्मदीदों के बयान रिकॉर्ड किए। जिसको सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। क्योंकि मुझे पता चल चुका था कि स्थानीय पुलिस प्रशासन मेरा साथ नहीं देगा। सोशल मीडिया ही सहारा बना। मीनाक्षी ने जो पहले सवाल उठाए थे कि पुलिस दो घंटे तक मनीष को कहां लेकर घूमती रही। बेवजह चेकिंग करने क्यों पहुंची। आदि सवालों को एसआईटी के सामने भी दोहराया।