श्रद्धा मर्डर केस में आरोपी आफताब का पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट पूरा हो गया है, लेकिन पुलिस के लिए मुसीबत अभी भी खत्म नहीं हुई है. दोनों टेस्ट में आफताब के रवैये पर एक्सपर्ट्स के जवाबों ने पुलिस को हैरानी में डाल दिया है. एफएसएल सूत्रों के मुताबिक पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट में साइकोलॉजिकल डिपार्टमेंट के एक्सपर्ट को लगता है कि आफताब स्प्लिट पर्सनैलिटी होने का ड्रामा कर रहा है. क्योंकि जिस तरह से उसका व्यवहार दोनों टेस्ट के दौरान रहा है, उसने उन एक्सपर्ट को भी हैरानी में डाल दिया है. सूत्रों के मुताबिक पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट के दौरान जब उससे सवाल पूछे गए, तो उसने जैसे जवाब दिए उसको देखकर लगता है कि आफताब खुद अपना पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट करवाना चाहता था.

सूत्रों के मुताबिक इस केस के बारे में जब जांच अधिकारी ने FSL के एक्सपर्ट से आफताब के टेस्ट के बारे में बात की. उन्होंने जो जानकारी दी उसके बाद से पुलिस भी हैरान है. क्योंकि साइकोलॉजिकल एक्सपर्ट ने बताया कि आफताब का व्यवहार देखकर ऐसा लगता है कि उसके अंदर दो अलग-अलग तरह के लोग हैं. इसे साइकोलॉजिकल भाषा में स्प्लिट पर्सनैलिटी या ड्यूल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर कहा जाता है. इसकी सबसे बड़ी वजह है आफताब के अंदर होने वाला अचानक से बदलाव. सवाल पूछने पर वो कभी श्रद्धा से बहुत प्यार करने की बात कहता है तो उसकी हत्या करने के बारे में पूछने पर उससे बेहद नफरत करने की बात बोलकर, कोई पछतावा ना होने की बात स्वीकार करता है.

पुलिस के सूत्रों के मुताबिक आफताब का यही व्यवहार उनके लिए सबसे बड़ी परेशानी का कारण बना हुआ था. क्योंकि जिस तरह से वो पुलिस को अपनी कहानी पर घूमा रहा था. उसके बाद अगर वो कोर्ट में अपनी इस ड्यूल पर्सनैलिटी या स्प्लिट पर्सनैलिटी जैसी मानसिक बीमारी को साबित करने में कामयाब हो गया तो पुलिस को उसे सज़ा दिलवाने में मुश्किल हो सकती है. कानून के जानकारों का मानना है कि इस तरह की मानसिक बीमारी साबित होने पर आरोपी को सजा नहीं दी जा सकती.

क्या श्रद्धा की हत्या करने के बाद स्प्लिट पर्सनैलिटी का ड्रामा करने के लिए आफताब ने हत्या के 12 दिन बाद बम्बल एप्प के जरिये एक मनोचिकित्सक डॉक्टर को अपने प्यार के जाल में फंसाया था. जिससे वो अदालत में ये साबित कर सके कि उसने अपने इलाज के लिए भी उससे संपर्क किया था. उसके ब्यान के आधार पर भी ये साबित किया जा सके कि वो एक दम नॉर्मल इंसान था. वो कभी किसी की हत्या इतनी बेहरहमी से नहीं कर सकता है. फिलहाल पुलिस के पास परिस्थिजन्य साक्ष्यों के अलावा कोई भी ऐसा ठोस सबूत नहीं है जिसके जरिए वो आफताब को फांसी की सजा दिला सके.