नई दिल्ली। अगर आप गर्भधारण करने का प्लान कर हैं, तो कई बातों को ध्यान में रखकर चलना होता है। वैसे तो तकनीकी रूप से एक महिला गर्भवती होती है, गर्भ धारण करती है और बच्चे को जन्म देती है, लेकिन इसमें पुरुषों की भी एक अभिन्न भूमिका होती है। पुरुषों के स्पर्म मादा अंडे में प्रवेश करते हैं, और फर्टलिज़ेशन शुरू करते हैं। यही वजह है कि विशेषज्ञ ओवुलेशन के समय के आसपास संभोग करने की सलाह देते हैं, जब अंडाशय से एक अंडा निकलता है।
हालांकि, समय के साथ स्पर्म की क्वालिटी और काउंट भी अहम भूमिका निभाते हैं। तो अगर आप भी प्रेग्नेंसी प्लान कर रहे हैं, तो इन 6 बातों का ख्याल रखें।
रोज़ाना हेल्दी डाइट का सेवन कई तरह के हेल्थ से जुड़ी दिक्कतों से बचाती है, जिसमें प्रजनन समस्याएं भी शामिल हैं। जो पुरुष गर्भधारण करने में परेशानी होती है, उन्हें पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए, जिसमें भरपूर मात्रा में फल और सब्जियां हों, जिनमें एंटीऑक्सिडेंट भी अधिक हों। लीन प्रोटीन चुनें, जैसे चिकन और मछली, साथ में नट्स और बीज भी।
रिसर्च में भी देखा गया है कि जो कपल्स मोटापे का शिकार होते हैं, उन्हें गर्भधारण करने में परेशानी होती है। वज़न का कम होना या ज्यादा होना, दोनों ही हॉर्मोन्स को प्रभावित करता है। इससे पुरुषों में स्पर्म काउंट कम होता है। यही वजह है कि हेल्दी वज़न बनाए रखना बेहद ज़रूरी है। डाइट के साथ फिज़िकल एक्टिविटी को भी अहमियत दें।
तनाव आपके शरीर के एक-एक अंग को प्रभावित करता है, जिससे आपका मानसिक स्वास्थ्य तो खराब होता ही है, साथ ही दूसरी बीमारियां भी लग जाती हैं। जहां तक पुरुष प्रजनन क्षमता का संबंध है, यह कामेच्छा को भारी रूप से प्रभावित कर सकता है और स्पर्म उत्पादन को सीमित कर सकता है। इसलिए अगर आप नींद पूरी लेंगे, तो इससे तनाव कम होगा और स्पर्म क्वालिटी में सुधार आएगा।
स्मोकिंग और शराब का सेवन स्वास्थ्य पर बुरा असर ही डालते हैं। इससे कई बीमारियां तो होती ही हैं, साथ ही आपकी प्रजनन क्षमता पर भी असर पड़ता है। कई अध्ययनों के अनुसार, सिगरेट और शराब पीने से शुक्राणुओं की संख्या और प्रजनन क्षमता कम हो सकती है।
अगर आप किसी बीमारी से जूझ रहे हैं, तो इसका असर प्रजनन क्षमता पर भी पड़ता है। जैसे- डायबिटीज़ का सही इलाज न हो तो इससे प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। इसके अलावा, प्रजनन प्रणाली या मूत्र पथ के संक्रमण से भी प्रजनन क्षमता और शुक्राणु की गुणवत्ता में कमी आ सकती है।
अमेरिका के सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, यौन संचारित रोग जैसे, क्लैमाइडिया और गोनोरिया जैसे संक्रमण श्रोणि सूजन की बीमारी (पीआईडी) और बांझपन का कारण बनते हैं।