नई दिल्ली. कोविड-19 व इन्फ्लूएंजा जैसे श्वास संबंधी कई संक्रमण कोशिकाओं व अंगों में गंभीर तनाव पैदा कर देते हैं। ये संक्रमण एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) का कारण बनते, जिससे बुजुर्ग व कमजोर लोगों की मौत भी हो जाती है। स्विट्जरलैंड स्थित ईपीएफएल के स्कूल आफ लाइफ साइंसेज में प्रोफेसर जान औवेर्क्स के अनुसार, “नई चिकित्सकीय रणनीति के अंतर्गत संक्रामक एजेंट से लड़ने के बजाय एआरडीएस से मुकाबला किया जाता है। इसमें सूजन की चुनौतियों से निपटने के लिए जीव की सहनशक्ति बढ़ाई जाती है।”

क्‍या होती हैं माइटोकांड्रिया कोशिकाएं
ईपीएफएल की एड्रिएन मोटिस और उनके सहयोगियों ने नए अध्ययन में पाया कि ऐसी रणनीति एक जैविक घटना का फायदा उठा सकती है, जिसे माइटोहोर्मेसिस के रूप में जाना जाता है। माइटोहोर्मेसिस के अनुसार कोशिका के माइटोकांड्रिया में हल्का तनाव प्रतिक्रियाओं की एक श्रृंखला पैदा करता है, जिससे कोशिका के स्वास्थ्य और जीवन क्षमता में वृद्धि होती है। माइटोकांड्रिया को कोशिकाओं का पावरहाउस भी कहा जाता है।

स्‍वयं करती हैं राहत के प्रयास
कोशिकाओं का निगरानी तंत्र इस पर लगातार नजर रखता है। अगर इसमें कोई परेशानी पैदा होती है, तो कोशिका तत्काल उसे दूर करने की प्रक्रिया शुरू कर देती है, जिसे माइटोकांड्रियल स्ट्रेस रेस्पांसेज के रूप में जाना जाता है। अध्ययन की नेतृत्वकर्ता मोटिस कहती हैं, “माइटोकांड्रिया में हल्का तनाव समग्र रूप से कोशिका व जीव के लिए फायदेमंद हो सकता है। इन तनाव प्रतिक्रियाओं का सकारात्मक प्रभाव, प्रारंभिक नकारात्मक प्रभाव को दूर कर सकता है।”