भोपा. नन्हेड़ा गांव ने आपसी सौहार्द और एकता की अनूठी मिसाल पेश की है। पिछले 27 वर्षों से मस्जिद की देखभाल हिंदू परिवार कर रहा है। गांव में एक भी मुस्लिम परिवार नहीं रहता। ईद से पहले मस्जिद की साफ-सफाई की गई। ग्रामीण कहते हैं कि सबके धर्मस्थल बराबर हैं।
गांव नन्हेड़ा के पूर्व प्रधान दारा सिंह, राजीव कुमार और ग्राम प्रधान आदेश कुमार का कहना है कि गांव की मस्जिद ब्रिटिश कालीन है। एक समय गांव में काफी संख्या में मुस्लिम वर्ग के लोग रहते थे, लेकिन धीरे-धीरे रोजी-रोटी के लिए सब अलग-अलग शहरों में चले गए। मुस्लिम नहीं रहे, लेकिन मस्जिद है। साल 1995 से गांव का रामवीर कश्यप मस्जिद की देखभाल करता चला रहा है। प्रतिदिन साफ सफाई, रखरखाव के साथ ही ईद के समय पर वह मस्जिद की साफ सफाई करता है।
दंगे में हिंदुओं ने ही की थी मस्जिद की सुरक्षा
2013 में पड़ोस के गांव बसेड़ा में एक किसान दंगे में मारा गया था। इलाके में तनाव को देखते हुए गांव में मस्जिद की सुरक्षा के लिए हिंदू वर्ग के युवकों ने दिन-रात पहरा दिया था। मस्जिद को नुकसान पहुंचाने के लिए कुछ खुराफाती आए भी तो गांव वाला की मंशा भांपकर वह वापस लौट गए थे।
मस्जिद की दीवार गिरी तो मांगेराम ने बनवाई
भोपा क्षेत्र के जाट बाहुल्य गांव करहेड़ा में भी घनी बस्ती के बीचोंबीच लगभग 800 वर्ष पुरानी मस्जिद है। गांव में इसे सैय्यदों की मस्जिद के नाम से जाना जाता है। यहां से सैय्यद वर्ग के लोग काफी समय पहले पलायन कर गए थे, वर्तमान में केवल एक परिवार रहता है। मस्जिद से जुड़े सिफते अब्बास जैदी, पूर्ण सिंह, राठी खाप के थांबेदार प्रमोद राठी, बिन्नू राठी, मांगे राम बताते हैं कि इस मस्जिद की देखभाल पूरा गांव करता है। हाल ही में मस्जिद के एक दीवार क्षतिग्रस्त हो गई थी, जिसे पड़ोसी मांगेराम राठी ने बनवाई।