मुजफ्फरनगर। निस्तारित होने वाले कैमिकल युक्त पानी को महाकुंभ के मद्देनजर नदियों से दूर रखने के लिए करीब 55 उद्योगों को बंद करा दिया गया है ये सभी वे उद्योग है, जिनमें कैमिकलयुक्त पानी को साफ करने की क्षमता पूर्ण रूप से विकसित नहीं है। निर्धारित तिथियों में उक्त उद्योगों को तब तक बार-बार बंद रखा जाएगा जब तक वहां शून्य तरल निर्वहन (जेडएलडी) की पूर्ण व्यवस्था नहीं हो जाती। बुधवार से इनका संचालन शुरू कर दिया जाएगा।
प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारियों की टीम काली नदी पूर्वी व पश्चिमी के साथ हिंडन नदी में बहने वाले जल को लेकर सक्रिय है। यह दोनों ही यमुना नदी की सहायक नदियां हैं। काली नदी में धंधेड़ा और भंडूरा नाले का पानी गिरता है, जो काली पश्चिम में अधिक पहुंचता है। यह नदी मेरठ क्षेत्र में हिंडन में जाकर मिलती है। इसके बाद हिंडन संपूर्ण पानी को लेकर आगे बढ़ती है, जो आगे चलकर गंगा में विलय हो जाती है। वहीं, खतौली शुगर मिल काली पूर्वी नदी में जल उत्प्रवाह करती है, जबकि हिंडन नदी में दो शुगर मिल का पानी गिरता है। जनपद के करीब 55 उद्योग ऐसे हैं। जिनका जलउत्प्रवाह नालों के माध्यम से नदियों में गिरता है।
गंगा नदी की पवित्रता कायम रखने के जनपद की औद्योगिक इकाइयों पर शिकंजा कसा गया है। लगभग 55 ऐसे पेपर मिल, कपड़ा रंगने वाली डायिंग फैक्ट्रियों आदि को बंद कराया गया है। यह फैक्ट्रियां शून्य डिस्चार्ज यानी शून्य तरल निर्वहन पर नहीं है। अर्थात इनसे निकलने वाला दूषित जल नालों के माध्यम से नदियों तक पहुंचता है।
13 जनवरी को महाकुंभ का पहला गंगा स्नान है। इसके चलते ही कार्रवाई की गई है। जनपद से पानी को प्रयागराज संगम तक पहुंचने में दस दिन का समय लगता है। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम ने चार जनवरी से इन इकाइयों को बंद करा दिया है।
क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी अंकित सिंह का कहना है कि महाकुंभ मेला के गंगा स्नान को लेकर निगरानी बढ़ाई गई है। रोस्टर के हिसाब से जिन औद्योगिक इकाइयों में शून्य तरल निर्वहन की व्यवस्था नहीं है उनका संचालन बंद कराया गया है। जनपद में इस कार्रवाई की जद में लगभग 55 इकाइयां है।