मुजफ्फरनगर। कचहरी में दस साल पहले शामली जिले के बहावड़ी गांव की प्रधान के पति देवेंद्र की हत्या के आरोपी सौरभ मलिक को अदालत ने वारदात के समय किशोर नहीं माना है। बचाव पक्ष की ओर से दिए गए प्रार्थना पत्र को अपर सत्र न्यायालय की पीठासीन अधिकारी मंजुला भालोटिया ने निरस्त कर दिया।

शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजीव शर्मा और सहायक शासकीय अधिवक्ता प्रदीप कुमार शर्मा ने बताया कि पुरानी रंजिश के चलते 11 जुलाई 2013 को कचहरी में बहावड़ी के देवेंद्र की हत्या कर दी गई थी। पीड़ित पक्ष ने सगे भाई सौरभ मलिक, सागर मलिक, ओम सिंह और रणपाल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। बचाव पक्ष ने अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था कि वारदात के समय सौरभ की उम्र 17 साल 11 महीने 14 दिन थी। गुरुग्राम के स्कूल की आठवीं कक्षा का प्रमाणपत्र भी दाखिल किया गया। अदालत ने स्कूल के टीसी को संदेहास्पद मानते हुए प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया है। आरोपी लखनऊ जेल में बंद है।

शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजीव शर्मा ने बताया कि बचाव पक्ष ने विद्या निकेतन पब्लिक स्कूल देव लाल नगर गुुरुग्राम का प्रमाण पत्र दाखिल किया गया। अभियुक्त सौरभ का नाम मूल पत्रावली पर सौरभ पुत्र सुरेश अंकित है। जबकि टीसी में सौरभ के स्थान पर सौरव पुत्र विक्की मलिक अंकित है। इससे संदेह हुआ। यह भी सामने आया कि प्रवेश के समय सौरभ की ओर से जन्मतिथि के विषय में कोई दस्तावेज नहीं दिया गया। टीसी पर बीएसए के हस्ताक्षर नहीं है। स्कूल के पीटीआई के बयान अदालत में कराए गए थे।

यही नहीं, 16 फरवरी 2015 को कोर्ट संख्या-दस में पुलिस सुरक्षा के बीच विक्की त्यागी की सिख अधिवक्ता की वेशभूषा में आए युवक ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। पीड़ित पक्ष ने हत्या का मुकदमा शामली के बहावड़ी गांव के सागर मलिक के खिलाफ दर्ज कराया था। इसी सागर मलिक का भाई सौरभ मलिक है।