मुजफ्फरनगर :  मुस्लिमों की अधिकता वाले करीब 16 गांवों में सात माह पहले हुए लोकसभा के मुकाबले मतदान की रफ्तार धीमी रहने से सपा के रणनीतिकारों की चिंता बढ़ गई है। पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग के बूथों पर मतदान बेहतर रहने से रालोद और भाजपा के खेमे में सुकून नजर आया। बसपा और आसपा के नेता अनुसूचित जाति के बूथों का गणित जुटाते रहे।

किशनपुर गांव के बूथ नंबर 92 पर सिर्फ 34.98 प्रतिशत मतदान हुआ। इसी बूथ पर लोकसभा चुनाव में 67.36 प्रतिशत वोट पड़े थे। बूथ नंबर 93 पर जिले का सबसे कम 29.11 प्रतिशत मतदान हुआ। सात महीने पहले इस बूथ पर 59.10 फीसदी वोट पड़े थे।

सीकरी के प्राथमिक विद्यालय नया भवन के कक्ष नंबर एक में 49.68 प्रतिशत वोट पड़े, जबकि इसी केंद्र पर लोकसभा में 62.59 प्रतिशत मतदान हुआ था। उच्च प्राथमिक विद्यालय के कक्ष नंबर एक में सबसे कम 44.31 फीसदी मतदान हुआ, जबकि सात माह पहले हुए लोकसभा चुनाव में इस केंद्र पर 65.06 प्रतिशत मतदान हुआ था।

अनुसूचित जाति के मतों की अधिकता वाले सीकरी के मजरा योगेंद्र नगर में 59.19 प्रतिशत मतदान हुआ। दलित वोटर यहां पर बंटते हुए नजर आए। केवल मुस्लिम मतों की बात करें तो सीकरी में 10 से 12 प्रतिशत मतदान कम हुआ है।

गंगनहर के किनारे बसे जौली गांव के तीन बूथ ऐसे रहे, जहां इस बार 40 फीसदी से भी कम मतदान हुआ। प्राथमिक विद्यालय कक्ष नंबर-1 में 32.79 फीसदी वोट पड़े, लोकसभा में इस बूथ पर 51.08 प्रतिशत मतदान हुआ था। गांव के बूथ संख्या 143 पर 32.31 और बूथ संख्या 144 पर सिर्फ 35.03 प्रतिशत वोट ही पडे़।

भोपा क्षेत्र के नंगला बुजुर्ग गांव में मुस्लिम मतदाताओं ने तीन बूथों पर 60 फीसदी से अधिक मतदान किया। लेकिन लोकसभा से तुलना करें तो मतदान का औसत कम रहा। गांव का मजरा विलायतनगर में सैनी वोट अधिक है, यहां पर मतदान का प्रतिशत 83.20 फीसदी पर पहुंच गया, यह लोकसभा के चुनाव से ज्यादा रहा।

गुर्जर वोटों की अधिकता वाले खरपौड़ गांव में भी मतदाताओं ने दमखम दिखाया। बूथ संख्या 108 पर 73.45 और बूथ संख्या 109 पर 69.76 प्रतिशत वोट पड़े। दोनों बूथों पर लोकसभा चुनाव में क्रमश : 70.71 और 72.69 प्रतिशत मतदान हुआ था।

कासमपुर खोला को गुर्जर मतदाताओं का गढ़ माना जाता है। लोकसभा में गांव के किसी भी बूथ पर 60 फीसदी वोट नहीं पड़े थे। लेकिन इस बार बूथ संख्या 217 पर 72.18, बूथ संख्या 218 पर 68.19 और बूथ संख्या 219 पर 62.21 प्रतिशत वोट पड़े थे।

विधानसभा में यादव बिरादरी के अकेले गांव भिड्डाहेड़ी में मतदान का प्रतिशत लोकसभा के मुकाबले कम रहा। बूथ संख्या 121 पर 58.81 और बूथ संख्या 122 पर 54.98 प्रतिशत वोट पड़े। जबकि लोकसभा में क्रमश 59.46 और 58.38 प्रतिशत मतदान हुआ था।

जाट मतदाताओं की अधिकता वाले गांवों में लोकसभा की तरह ही विधानसभा में भी मतदान हुआ। मनफोड़ा गांव के बूथ संख्या 324 पर 57.82 और बूथ संख्या 59.19 फीसदी वोट पड़े। लोकसभा में यहां क्रमश: दोनों बूथों पर 53.05 और 60.71 प्रतिशत वोट पडे़ थे।

कसबा भोकरहेड़ी को जाट मतों के प्रभाव वाला माना जाता है। कसबे के 11 बूथों पर लोकसभा की तरह ही मतदान हुआ। बूथ संख्या 55 पर 70.56 प्रतिशत वोट पडे़, जबकि लोकसभा में इस बूथ पर 72.80 प्रतिशत मतदान हुआ था। बूथ संख्या 56 पर 71.07 प्रतिशत वोट पड़े, जबकि लोकसभा में यहां सिर्फ 58.67 प्रतिशत मतदान हुआ था।

जाट मतों की अधिकता वाले गांव धीराहेड़ी में इस बार मतदान को लेकर अधिक जोश दिखा। गांव के बूथ संख्या 25 पर 74.88 और बूथ संख्या 26 पर 77.05 प्रतिशत मतदान हुआ। लोकसभा में क्रमश: दोनों बूथों पर 48.65 और 52.78 प्रतिशत वोट ही पड़े थे।