मुज़फ्फरनगर : मीरापुर उपचुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। वर्ष 1962 के चुनाव में भोकरहेड़ी सुरक्षित सीट थी। इसके बाद हुए परिसीमन में पहली बार मोरना विधानसभा बनी। 57 साल से एक भी विधायक नहीं चुना गया।
पश्चिम यूपी की सियासत में अपना खास वजूद रखने वाली मीरापुर विधानसभा क्षेत्र का रहने वाला पिछले 57 साल से एक भी विधायक नहीं चुना गया। दिलचस्प बात यह है कि दूसरे जिलों से आकर यहां चुनाव लड़ने वाले भी विधानसभा पहुंच गए। राजनीतिक दलों के लिए भी पहले मोरना और अब मीरापुर सियासी प्रयोगशाला की तरह रहे।
वर्ष 1962 के चुनाव में भोकरहेड़ी सुरक्षित सीट थी। इसके बाद हुए परिसीमन में पहली बार मोरना विधानसभा बनी। पिछले 57 साल की सियासत के पन्ने पलटें तो उजला इतिहास है। सूबे के पहले डिप्टी सीएम बाबू नारायण सिंह मोरना से चुनाव जीतकर ही विधानसभा पहुंचे थे। यहां जीते विधायक मुजफ्फरनगर के रहने वाले जरूर थे, लेकिन इनमें कोई भी मीरापुर या मोरना क्षेत्र का रहने वाला नहीं रहा।
पहले मोरना और अब मीरापुर से मिलकर कुल 14 विधायक पिछले 57 साल में चुने गए, लेकिन इनमें एक भी मूल रूप से स्थानीय नहीं रहा। राजनीतिक दलों ने अपने-अपने समय और समीकरण के हिसाब से टिकट दिए और जनता ने वोट दिया।
साल 2017 में भाजपा के टिकट पर अवतार भड़ाना विधायक चुने गए थे। वह मुजफ्फरनगर जिले के रहने वाले नहीं थे। विधानसभा क्षेत्र में नहीं पहुंचने लोगों ने उन्हें हवाई विधायक तक कहा। बाद में 2022 में भाजपा ने टिकट बदल दिया।
बसपा से साल 2012 में विधायक चुने गए मौलाना जमील वर्तमान में मीरापुर क्षेत्र के ही टंडेढ़ा गांव में रहते हैं, लेकिन वह मूल रूप से देवबंद क्षेत्र के जहीरपुर गांव के रहने वाले हैं। टंडेढ़ा में रहने के कारण अकेले उन्हें स्थानीय कहा जा सकता है।
मोरना-मीरापुर से कब कौन रहा विधायक
साल पार्टी विधायक
1967 कांग्रेस राजेंद्र दत्त त्यागी
1969 बीकेडी धर्मवीर त्यागी
1974 कांग्रेस नारायण सिंह
1977 जनता पार्टी नारायण सिंह
1980 जनता एस मेहंदी असगर
1985 कांग्रेस सईदुज्जमां
1989 जनता दल अमीर आलम
1991 भाजपा रामपाल सैनी
1993 भाजपा रामपाल सैनी
1996 सपा संजय सिंह
2002 बसपा राजपाल सैनी
2007 रालोद कादिर राना
2009 रालोद मिथलेश पाल
2012 बसपा मौलाना जमील
2017 भाजपा अवतार भड़ाना
2022 रालोद चंदन चौहान