मुज़फ्फरनगर : अखिलेश यादव ने मुस्लिम मतदाताओं को भावनात्मक रूप से एकजुट रखने के लिए महिला प्रत्याशी को टिकट दिया। सुम्बुल राणा के पिता मुनकाद अली बसपा में देवरिया के प्रमुख सेक्टर प्रभारी हैं।

मीरापुर उपचुनाव के लिए सपा ने पूर्व सांसद कादिर राणा की पुत्रवधू सुंबुल राणा को प्रत्याशी बनाया है। पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने मुस्लिम मतदाताओं को भावनात्मक रूप से एकजुट रखने के लिए महिला प्रत्याशी को टिकट दिया। सुंबुल राणा के पिता मुनकाद अली बसपा में देवरिया के प्रमुख सेक्टर प्रभारी हैं। जबकि कादिर राणा मोरना से रालोद के टिकट पर 2007 में विधायक रहे थे।

परिसीमन के बाद साल 2012 में बनी मीरापुर सीट पर मुस्लिम मतदाता हमेशा सपा के साथ खड़ा नजर आया है। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद साल 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी लियाकत अली ने 68842 वोट हासिल किए थे। रालोद ने मीरापुर सीट सपा के साथ गठबंधन में जीती थी। इसके बाद लोकसभा चुनाव में मुस्लिम समाज ने बहुतायत में सपा प्रत्याशी दीपक सैनी को वोट दिया। पिछले 12 साल से लगातार मीरापुर में मुस्लिम समाज सपा के साथ खड़ा है।

यही वजह है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सात साल बाद फिर से मुस्लिम प्रत्याशी पर भरोसा जताया। लेकिन पूर्व सांसद कादिर राणा और उनके बेटे शाह मोहम्मद के बजाए उनकी पुत्रवधू को टिकट दिया। सुंबुल राणा बसपा नेता मुनकाद अली की बेटी हैं। बसपा ने शाह नजर को विधानसभा प्रभारी बनाया है। लेकिन दिनभर चर्चा चलती रही कि बसपा मीरापुर में टिकट किसी दूसरे दावेदार को दे सकती है। मुस्लिम के बजाए किसी अति पिछड़ा वर्ग पर दांव चलने की संभावना है।

पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भाजपा और रालोद से पहले अपनी चाल चल दी। रालोद से टिकट के दावेदारों में बिजनौर सांसद चंदन चौहान की पत्नी यशिका चौहान भी शामिल हैं। सपा के शीर्ष नेतृत्व ने सभी पहलुओं पर मंथन करने के बाद सुंबुल को टिकट दिया।

मीरापुर विधानसभा सीट के चुनाव में अब सपा के पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक फार्मूले का भी इम्तिहान होगा। देखने वाली बात यह होगी कि मुस्लिम प्रत्याशी सुंबुल राणा के पक्ष में सपा पिछड़ों और दलितों को कितना लामबंद कर पाती है।